09-Feb-2023 10:42 PM
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नई दिल्ली 09 फरवरी (संवाददाता) रक्षा मंत्रालय ने 'आत्मनिर्भर भारत' की कल्पना के तहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को बड़ा बढ़ावा देने के लिए सेना की इंजीनियर कोर के लिए मॉड्यूलर ब्रिजेज के 41 सेटों के स्वदेशी विनिर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
महत्त्वपूर्ण परिस्थितियों में बाजी पलटने का दम रखने वाले इन पुलों को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डिजाइन और विकसित किया है और लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) द्वारा डीआरडीओ-नामित उत्पादन एजेंसी के रूप में निर्मित किया जाएगा। मॉड्यूलर ब्रिज की खरीद के लिए एलएंडटी के साथ 2,585 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8x8 हेवी मोबिलिटी वाहनों पर आधारित सात वाहक वाहन और 10x10 हेवी मोबिलिटी वाहनों पर आधारित दो लॉन्चर वाहन शामिल होंगे। प्रत्येक सेट यांत्रिक रूप से पूर्णतः डेक किए गए 46 मीटर के असॉल्ट ब्रिज को लॉन्च करने में सक्षम होगा। पुल को त्वरित लॉन्चिंग और पुनर्प्राप्ति क्षमताओं के साथ नहर और खाई जैसी विभिन्न प्रकार की बाधाओं को पार करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह उपकरण अत्यधिक मोबाइल, बहुमुखी, विषम और व्हील्ड तथा ट्रैक्ड यंत्रीकृत वाहनों के साथ तालमेल रखने में सक्षम है।
मॉड्यूलर ब्रिज मैन्युअल रूप से लॉन्च किए जाने वाले मीडियम गर्डर ब्रिजेज (एमजीबी) की जगह लेंगे जो अभी सेना में उपयोग किए जा रहे हैं। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित मॉड्यूलर ब्रिज के एमजीबी पर कई फायदे होंगे जैसे कि ज्यादा विस्तार, तैयार करने के लिए कम समय और पुनर्प्राप्ति क्षमता के साथ यांत्रिक लॉन्चिंग। इन पुलों की खरीद से पश्चिमी मोर्चे पर सेना की ब्रिजिंग क्षमता को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना विश्व स्तरीय सैन्य उपकरणों को डिजाइन और विकसित करने में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगी और मित्र देशों को रक्षा निर्यात बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।...////...