25-Mar-2022 10:38 PM
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नयी दिल्ली 25 मार्च (AGENCY) राज्यसभा में शुक्रवार को भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय अनुसंधान संगठन स्थापित किये जाने की मांग की गयी।
भारतीय जनता पार्टी के राकेश सिन्हा ने सदन में ‘गैर सरकारी सदस्यों के कार्य’ के दौरान भारतीय संस्कृति के अनुसंधान के लिए राज्य, जिला और स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय शाेध संस्थान स्थापित करने का संकल्प पेश करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए जिस प्रकार नयी शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गयी है, उसी प्रकार के संस्थान स्थानीय स्तर पर भी बनायें जाने चाहिए। इन संस्थानों को सरकारों को वित्तीय मदद उपलब्ध करानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों एवं महाविश्वविद्यालयों के लिए स्थानीय सांस्कृतिक , ज्ञान विज्ञान और अन्य जानकारियां एकत्र करना अनिवार्य कर देना चाहिए। सभी अध्ययनरत छात्रों को इस संस्थान से जुड़ने का विकल्प दिया जाना चाहिए और उन्हें प्रमाणपत्र, डिप्लोमा और डिग्री प्रदान की जानी चाहिए। इन संस्थानों से जुड़ने का अवसर प्रत्येक इच्छुक नागरिक को मिलना चाहिए।
श्री सिन्हा ने कहा कि कला, साहित्य, संस्कृति, विमर्श और उत्सवों से जुड़ी सैंकडों वर्ष पुरानी परंपराओं को राष्ट्रीय मान्यता मिलनी चाहिए। पंचतंत्र का उल्लेख करते हुए उन्होेंने कहा कि दुनिया भर में इसे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सदियों से भारतीय ज्ञान विज्ञान और संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास होते रहे। अंग्रेजी शासन से पहले देश में ज्ञान विज्ञान के प्रसार एवं प्रचार की समृद्ध परंपरा थी। मुस्लिम आक्रांताओं ने नालंदा समेत कई शिक्षा संस्थानों को खत्म कर दिया। इसके बावजूद बहुत कुछ गांवों की परंपराओं , रीजि रिवाजों और परिवारों में बचा रह गया है। इसे संभालने और संवारने की जरुरत है।
तृणमूल कांग्रेस के जवाहर सरकार ने संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि केवल अतीत को सहेजने से काम नहीं चलेगा बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के लिए भी काम करना होगा। डीएमके के टी के एस एलंगोवन ने कहा कि क्षेत्रीय विभिन्नतओं को ध्यान में रखना होगा और स्थानीय परंपराओं और ज्ञान को संरक्षित करने जरुरत है।...////...