सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के 'भ्रामक और झूठे" विज्ञापनों पर लगाई रोक, कार्रवाई नहीं करने पर केंद्र सरकार को फटकार
27-Feb-2024 06:47 PM 3601
नयी दिल्ली, 27 फरवरी (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने कई गंभीर बीमारियों के इलाज के दावे वाले पतंजलि आयुर्वेद के कथित "भ्रामक और झूठे" विज्ञापनों को लोगों के स्वास्थ्य से 'खिलवाड़' करने वाला बताते हुए मंगलवार को उन पर अंतरिम रोक दी और इस मामले में कानूनी कार्रवाई नहीं करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को इस मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं करने लिए फटकार लगाई और कहा कि चेतावनी के बावजूद भ्रामक विज्ञापनों के माध्यम से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने पतंजलि को बीपी, मधुमेह, अस्थमा और कुछ अन्य बीमारियों से संबंधित सभी विज्ञापन जारी करने पर अंतरिम रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने कथित तौर पर भ्रामक विज्ञापन जारी रखने के लिए पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण को अदालत की अवमानना ​​का कारण बताओ नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा कि अदालत बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​कार्यवाही मामले में पक्षकार बनाएगी, क्योंकि दोनों की तस्वीरें विज्ञापन में हैं। शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को कई बीमारियों के इलाज के लिए उसकी दवाओं के विज्ञापनों में "झूठे" और "भ्रामक" दावे करने के लिए पिछले साल नवंबर में आगाह किया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि याचिका वर्ष 2022 में दायर की गई थी। सरकार आंखें मूंद कर बैठी हुई है। दो साल तक इंतजार के बाद भी कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं की गई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी याचिका में एलोपैथी दवा को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को करेगी।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^