05-May-2025 09:57 PM
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नई दिल्ली, 05 मई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने वर्षों तक निर्णय सुरक्षित रखने के बाद भी फैसला न सुनाए जाने पर सोमवार को आपत्ति जतायी और सभी उच्च न्यायालयों से एक महीने के भीतर उन मामलों से संबंधित रिपोर्ट मांगी, जिनमें 31 जनवरी, 2025 को या उससे पहले निर्णय सुरक्षित रखे गए हैं।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा कि यह अदालत उच्च न्यायालयों के लिए कुछ अनिवार्य दिशा-निर्देश तय करेगी।
पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा इस तरह से निर्णय न सुनाए जाने को ‘ बहुत परेशान करने वाला मुद्दा’ बताया।
पीठ ने कहा “ देखते हैं। ईमानदारी से कहूं तो यह बहुत परेशान करने वाला मुद्दा है, लेकिन हमें परिस्थितियों का पता नहीं है - ऐसा क्यों हुआ - लेकिन हम निश्चित रूप से कुछ अनिवार्य दिशा-निर्देश तय करना चाहेंगे। इसे इस तरह से होने नहीं दिया जा सकता।”
झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा चार आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों की याचिका पर एक रिपोर्ट दायर की गई थी, जिसमें शिकायत की थी कि उच्च न्यायालय ने 2022 में अपना आदेश सुरक्षित रखने के बावजूद उनकी आपराधिक अपीलों पर अपना फैसला नहीं सुनाया है।
पीठ ने कहा “ झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को देखने के बाद, हमें ऐसा लगता है कि हमें सभी उच्च न्यायालयों से ऐसी रिपोर्ट मिलनी चाहिए।”
शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि सूचना में आपराधिक अपीलों और दीवानी मामलों का अलग-अलग विवरण होना चाहिए, साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह खंडपीठ का मामला है या एकल न्यायाधीश का।
पीठ ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष कुल 67 मामले लंबित हैं, जिनमें आदेश सुरक्षित रखा गया है, लेकिन आज तक निर्णय नहीं सुनाया गया है।
शीर्ष अदालत ने पाया कि कुछ आपराधिक अपीलों सहित 56 मामले हैं, जिनमें उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 4 जनवरी, 2022 से लेकर 16 दिसंबर 2024 तक तक अलग-अलग तारीखों पर मामलों की सुनवाई की है लेकिन इन मामलों में अंतिम फैसले का इंतजार है।
पीठ ने अपने आदेश में दर्ज किया “ एक अन्य न्यायाधीश के समक्ष 11 एकल न्यायाधीश मामले भी हैं, जहां 25 जुलाई, 2024 से 27 सितंबर, 2024 तक अलग-अलग तारीखों पर आदेश सुरक्षित रखे गए हैं।”
पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को उन 75 आपराधिक अपीलों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिनमें उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय सुनाए गए हैं।
चार आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों की ओर से पेश अधिवक्ता फौजिया शकील ने बताया कि इसी तरह के 10 दोषी रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं और उच्च न्यायालय द्वारा निर्णय नहीं सुनाया गया है।
पीठ ने चार दोषियों की याचिकाओं को 12 मई के लिए सूचीबद्ध करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर आपराधिक अपीलों के भविष्य के बारे में विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वे रांची जेल में बंद 10 कैदियों को कानूनी उपाय प्रदान करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ताओं जैसे दोषियों को भी उपायहीन न छोड़ा जाए।
शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई में करेगी।...////...