05-Dec-2024 10:45 PM
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नई दिल्ली, 05 दिसंबर (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गंभीर स्तर के वायु प्रदूषण से निपटने के उपायों में कुछ शर्तों के साथ ढील देने की अनुमति गुरुवार को दे दी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की गुहार पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चरण-4 से 2 तक नीचे जाने की अनुमति दी। न्यायालय ने हालांकि सीएक्यूएम से कहा कि उसे चरण 3 से कुछ अतिरिक्त उपाय लागू करने होंगे।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 350 से ऊपर जाने की स्थिति में हो, तो एहतियातन जीआरएपी चरण 3 तुरंत लागू करना होगा। अगर किसी दिन एक्यूआई 400 को पार करे, तो जीआरएपी चरण 4 को फिर से लागू किया जाएगा।
पीठ ने न्यायालय को सौंपे गए आंकड़ों पर भरोसा जताते हुए कहा कि उसे नहीं लगता कि इस चरण में आयोग को चरण 2 से नीचे जाने की अनुमति देना उचित होगा।
पीठ ने कहा, “इसलिए, हम आयोग को फिलहाल चरण 2 में जाने की अनुमति देते हैं। यह उचित होगा। यदि आयोग चरण 3 का हिस्सा बनने वाले कुछ अतिरिक्त उपायों को शामिल करने पर विचार करे।”
पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने तर्क दिया कि नवीनतम वायु गुणवत्ता सूचकांक आंकड़ों के अनुसार, जीआरएपी-4 उपायों में ढील दी जा सकती है, क्योंकि वायु गुणवत्ता सूचकांक में स्पष्ट रूप से गिरावट देखी जा रही है। श्री भाटी ने कहा कि जीआरएपी-4 उपाय "बहुत ही हानिकारक" हैं।
शीर्ष अदालत सुनवाई के दौरान ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के राज्यों दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा को सभी श्रमिक संगठनों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया, ताकि श्रमिकों को ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीकृत कराया जा सके। ऐसा होने से वे निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध से लेकर प्रदूषण विरोधी उपायों के कारण बेरोजगार रहने पर मिलने वाले निर्वाह भत्ते प्राप्त करने के पात्र बन सकेंगे।
शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई के दौरान वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ढील देने संबंधी गुहार ठुकरा दी थी।
हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विद्यालयों को प्रदूषण के कारण बंद करने के फैसले की समीक्षा करते हुए नियमों में ढील देने पर विचार करने का उसके आदेश दिया था।
पीठ ने उस समय आयोग से कहा था कि उसे अपने पिछले फैसले की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि कई विद्यार्थी मध्याह्न भोजन की सुविधा से वंचित होने के साथ ही कई जरूरी सुविधाओं के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैंं। उनके घरों में हवा साफ करने वाले कोई यंत्र नहीं है।...////...