13-Aug-2022 06:25 PM
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अमृतसर, 13 अगस्त (AGENCY) देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने देश के विभिन्न जेलों में बंद सिख कैदियों की रिहाई के संबंध में पंजाब भर के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम उपायुक्तों को मांग पत्र सौंपे।
अमृतसर के उपायुक्त को मांग पत्र सौंपने के लिए शिरोमणि कमेटी के सदस्य और कर्मचारी शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के नेतृत्व में श्री दरबार साहिब के बाहर प्लाजा पर जमा हुए, जहां से उपायुक्त कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला गया। इस दौरान शिरोमणि समिति के अध्यक्ष सहित सदस्यों और कर्मचारियों ने काली पगड़ी पहन रखी थी और बंदी सिखों की रिहाई के संबंध में नारे लगाने वाले बैनर और तख्तियां लिए हुए थे।
एसडीएम हरप्रीत सिंह ने उपायुक्त कार्यालय में एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट धामी से उपायुक्त से मांग पत्र प्राप्त किया और इसे आगे की कार्रवाई के लिए सरकार को भेजने का आश्वासन दिया।
इस मौके पर एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि 30-30 साल से देश की जेलों में कैद सिखों के साथ न्याय नहीं हो रहा है और सरकार घोषणा के बाद भी सिखों को रिहा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के लिए सबसे अधिक बलिदान देने वाले सिखों को धकेला जा रहा है। एसजीपीसी ने देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बैठक के लिए कहने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है, जिससे साफ है कि सरकारों की मंशा ठीक नहीं है।
शिरोमणि समिति अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है तो दूसरी तरफ सिखों को गुलामी का अहसास कराया जा रहा है। देश के संविधान के तहत सभी को समान अधिकार हैं, लेकिन सिख कैदियों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करना भी संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि बंदी सिंह दो बार आजीवन कारावास की सजा काट चुके हैं, जिसके कारण उन्हें रिहा होने का अधिकार है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब देश की सरकारें आंखें मूंद लेती हैं तो संघर्ष का रास्ता चुनना पड़ता है। अभी के लिए यह विरोध एक संकेत के रूप में किया गया है और अगर सरकारें नहीं जागीं तो भविष्य में संघर्ष की रूपरेखा तैयार की जाएगी।...////...