01-Sep-2021 10:53 AM
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अब ऐसे मिलेगी मजबूती लेकिन दूसरा डोज और मास्क भी लगाएं
वैसे आमजन के मन में सवाल है कि क्या वे अब पहले डोज के बाद पूरी तरह सुरक्षित हो गए हैं? इसे लेकर एक्सपर्टस का कहना है कि इससे एक प्रकार का शुरुआती सुरक्षा कवच जरूर मिल गया है यानी अधिकांश की एंटीबॉडी बनने से संक्रमण का उतना खतरा नहीं है।
आखिरकार इंदौर ने 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पहला डोज का 100 फीसदी टारगेट पूरा कर फिर देश में अपना कद बढ़ा लिया। मंगलवार शाम को इस उपलब्धि की खबर सामने आई तो शहर का हर शख्स खुश था। 28 लाख लोगों का पहला डोज का टारगेट देखते ही देखते सिर्फ 228 दिनों में पूरा हो गया। यह बड़ी उपलब्धि इतनी आसान नहीं थी। इसके पीछे विभागों की टीमों का खासकर स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम की टीमों का काफी समर्पण रहा।
कलेक्टर मनीषसिंह के मुताबिक मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश के बाद ही 100 फीसदी वैक्सीनेशन का प्रण कर लिया गया था। इसमें आखिरी का 5 फीसदी वैक्सीनेशन सबसे चुनौतीपूर्ण रहा, जिसमें 10 दिन लग गए। इसमें भी आखिरी 1 फीसदी तो और भी कठिन रहा। टीमों ने गांव-गांव, खेत-खेत जाकर लोगों को ढूंढा और उन्हें राजी कर वैक्सीन लगाई। जन्माष्टी जैसे बड़े त्यौहार पर भी स्टाफ का काफी समर्पण रहा। व्रत के बावजूद वैक्सीनेशन के लिए महिला स्टाफ भी ड्यूटी देती रही और आखिरी तक सहभागिता निभाई। कुछेक बार तो स्थिति ऐसी भी हुई कि कहीं से भी सूचना मिली कि फलां व्यक्ति मिल गया है तो मोबाइल वेन टीम भोजन छोड़कर उसे वैक्सीन लगाने पहुंच जाती थी।
16 जनवरी 2021 को जब देशव्यापी वैक्सीनेशन शुरू हुआ था तो इंदौर में भी इसे लेकर काफी कौतूहल था। इस दिन सबसे पहले जिला अस्पताल की कर्मचारी आशा पंवार ने तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. पूर्णिमा गडरिया से पहला वैक्सीन लगाया था। इससे बाद तो सिलसिला चल पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती उन हेल्थ वर्कर्स की थी जो जोखिम में काम कर रहे थे। इसके चलते सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स का ही वैक्सीनेशन शुरू हुआ। इसके लिए काफी पहले ही ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन कर दिए थे। इसके बावजूद कई हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन से रिएक्शन को लेकर संशय था। इसे लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (इंदौर चेप्टर) के डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी स्थिति स्पष्ट की और वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा कोविड कंट्रोल रूम से कई बार रिमांइडर, मैसेज भेजकर वैक्सीन के लिए आग्रह किया गया और सभी को वैक्सीन लगाई गई। इसके साथ ही प्राइवेट अस्पतालों को भी वैक्सीन की अनुमति दी जिससे लोगों को काफी सुविधा मिली।
फ्रंट लाइन वर्कर्स को किया सुरक्षित
इसी कड़ी में फिर फ्रंट लाइन वर्कर्स यानी पुलिस, नगर निगम, जिला प्रशासन, मीडिया आदि से जुड़े लोगों का वैक्सीनेशन शुरू किया। इन महकमों से जुड़े लोगों की संख्या हजारों में थी। इसके चलते बड़े सेंटरों पर सेशन बढ़ाए गए और सभी को पहला डोज लगाया। इनमें से कइयों को तो दोनों डोज लग चुके हैं।
नगर निगम ने लगातार किया प्रचार
वैक्सीनेशन को प्रेरित करने के लिए नगर निगम ने सभी 85 वार्डों में रोज वाहन द्वारा इसका प्रचार-प्रसार किया। लोगों को बताया गया कि नजदीक ही वैक्सीन सेंटर है, वैक्सीन जरूर लगाए। दूसरी ओर कलेक्टर ने समाजजनों, धर्मगुरुओं, सभी बाजारों के एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बैठकें लेकर वैक्सीन की अपील जन-जन तक पहुंचाने कहा। नतीजन अधिकांश सभी मंडियों व बाजारों में दुकानदार व कर्मचारियों को पहला डोज होने के बाद ही इंट्री दी गई जिससे काफी कसावट आई।
दूसरी लहर में तो और भी चुनौतीपूर्ण
अप्रैल-मई में तो कोरोना की दूसरी लहर जब चरम पर थी तो शुरू में इसका असर वैक्सीनेशन पर हुआ लेकिन फिर धीरे-धीरे कर सेंटर बढ़ाए गए और पूरी एहतियात के साथ इसे जारी रखा। इस दौरान जब कोरोना से मरने वालों की संख्या बढ़ी तो लोगों का रुख वैक्सीनेशन की ओर हुआ। इसके चलते फिर ऑन लाइन स्लॉट रजिस्ट्रेशन को आवश्यक किया गया।
फिर अलग-अलग कैटेगरी का वैक्सीनेशन60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का पहला डोज होने के बाद 45 से 59 वर्ष के बीच के लोगों का शुरू किया। इनके बाद़ 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का शुरू किया। इस तरह लगातार सेंटर बढ़ाए गए।
गर्भवती के मामले में भी इंदौर ने की शुरुआत
आईसीएमआर द्वारा गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने की अनुमति के बाद मप्र में इंदौर ने ही पहले इसकी शुरुआत की और हफ्ते में दो दिन गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन शुरू किया। इसके लिए पांच प्रमुख सरकारी अस्पतालों को सेंटर बनाया गया।
महाभियान में परचम लहराने के बाद बढ़ा आत्मविश्वास
21 जून से देशभर में जो वैक्सीनेशन महाभियान शुरू हुआ उसमें इंदौर ने परचम लहराकर इंदौरवासियों का मनोबल और बढ़ा दिया जिसके बाद गति और तेज हो गई। हर दिन कोविशील्ड और को-वैक्सीन के डोज लगाए गए।
फिर तो 400 से ज्यादा सेंटर ही रहे
जुलाई-अगस्त में स्थिति यह हो गई कि पहले हर रोज 300 और फिर 400 से ज्यादा सेंटर बनाए गए। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सेंटर काफी बढ़ाए गए जिससे लोगों को काफी सहूलियत रही। इस दौरान नगर पंचायत, जनपद पंचायत आदि का भी काफी सहयोग रहा। शहरी क्षेत्रों में हर सेंटर पर दो मेडिकल स्टाफ व दो नगर निगम का स्टाफ रहा और वैक्शीनेशन चलता रहा।
फिर हर दिन 70-80 मोबाइल वेन दौड़ती रही
अगस्त में जब पहले डोज का 5 फीसदी रह गया तो बचे लोगों को ढूंढ़ना काफी चुनौतीपूर्ण था। इसके लिए कलेक्टर मनीषसिंह ने जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, राजस्व, नगर पंचायत, जनपद पंचायत, एनजीओ आदि टीमों को लगा दिया। इसके लिए हर रोज 70-80 मोबाइल वेन दिनभर ऐसे लोगों के घरों तक पहुंची जिन्होंने पहला डोज नहीं लगाया था। इनमें कई बुजुर्ग को 85-90 वर्ष के थे। वे और उनके परिजन इसके लिए राजी नहीं थे, जिन्हें डॉक्टरों ने समझाया और वैक्सीन लगाई। बकौल मनीषसिंह 1 फीसदी में तो आखिरी के तीन दिन लग गए। इसके लिए टीमें दूरस्थ गांवों व खेतों गई और ऐसे लोगों को ढूंढ़कर वैक्सीन लगाई।
ये भी रही चुनौतियां लेकिन डटकर सामना किया
- कई बार वैक्सीन की कमी भी हुई लेकिन जनप्रतिधियों ने प्रयास कर उपलब्ध कराई। इसी कड़ी में एसीएस मो. सुलेमान में भी वैक्सीन की कमी नहीं होने का वादा पूरा किया। इंदौर सहित आसपास के जिलों के लिए कमिश्नर डॉ. पवन कुमार शर्मा की सक्रियता रही। रोज वैक्सीनेशन सेंटरों के शेड्यूल के लिए निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल, सीएमएचओ (तत्कालीन) डॉ. प्रवीण जडिया, डॉ. पूर्णिमा गडरिया, डॉ. बीएस सेत्या, डॉ. तरुण गुप्ता आदि की खास भूमिका रही। इनके निर्देशन में सारी टीमें रोज 10-12 घंटे वैक्सीनेशन में जुटी रही।
- इस बीच स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर खोलने के पहले यहां के स्टाफ का पहला डोज पूरा करने का टारगेट पूरा करने के लिए कई सेशन आयोजित किए गए। इसमें सभी शैक्षणिक संस्थानों के स्टाफ का पहला डोज का टारगेट पूरा कर लिया। यही कारण है कि 1 सितम्बर से छठी से 12वीं तक स्कूल शुरू हो रहे जिसके लिए प्रशासन व स्कूल प्रबंधन निश्चिंत हैं।
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