उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मिलम जौहार में सेना के लिए जमीन अधिग्रहण को बताया जायज
05-Mar-2022 10:44 PM 4668
नैनीताल, 05 मार्च (AGENCY) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम आदेश में राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए चीन की सीमा से सटे मिलम जौहार में सामरिक दृष्टि से जमीन के अधिग्रहण को जायज करार दिया है। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 05 अक्टूबर-2021 को इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था और कल शुक्रवार को अपना यह आदेश पारित किया । न्यायालय ने अपने आदेश में वेदों के अलावा संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए सरकार के कदम को सही ठहराया गया और याचिका को खारिज कर दिया गया। केन्द्र सरकार की अनुशंसा पर प्रदेश सरकार की ओर से 01 अगस्त-2015 को चीन सीमा से सटे मिलम गांव में भारत तिब्बत सीमा पुलिस की अग्रिम चौकी स्थापित करने के लिये 2.4980 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित कर ली गयी थी। जमीन अधिग्रहण के लिये निर्धारित प्रावधानों का पालन किया गया था और अधिग्रहित जमीन के बदले ग्रामीणों को उचित मुआवजा भी दे दिया गया। इसके बावजूद कुछ ग्रामीणों की ओर से इस अधिग्रहण का उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता की ओर से जमीन अधिग्रहण को लेकर जारी अधिसूचना को गलत बताते हुए कहा गया कि वे लोग वर्ष 1880 से इस गांव में निवास कर रहे हैं और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत भोटिया जनजाति में संबद्ध हैं। जनजाति से संबद्ध होने के चलते सरकार की ओर से उन्हें विशेष अधिकार दिये गये हैं। इसलिये सरकार द्वारा यह कदम गलत है और उनके अधिकारों का हनन है। इस मामले में सरकार की ओर से कहा गया कि मिलम गांव सीमा से सटा अंतिम गांव है और अतंर्राष्ट्रीय सीमा से 20 से 25 किमी दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यह मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। यहां सेना और अर्द्ध सैनिक बलों की चौकी होना अत्यावश्यक है। ताकि आवश्यकता पड़ने पर अग्रिम चौकियों पर रसद व हथियार पहुंचाया जा सके। सरकार की ओर से कहा गया कि देश हित के सामने व्यक्तिगत हित गौण हैं।...////...
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