वृद्धि, समानता, मूल्य स्थिरता में संतुलन ही आर्थिक नेतृत्व की कुशलता निहित है: डॉ रंगराजन
28-Sep-2023 07:00 PM 3451
नयी दिल्ली, 28 सितम्बर (संवाददाता) जाने माने अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ सी रंगराजन ने कहा है कि वृद्धि, समानता और मूल्य स्थिरता के बीच संतुलन साधने में ही आर्थिक नेतृत्व की कुशलता निहित होती है। डॉ. रंगराजन ने बुधवार को यहां ‘भारत के विकास, राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीतिः आर्थिक झटकों से कैसे उबरें’ विषय पर चुनिंदा लेखों के एक ई-संग्रह के विमोचन कार्यक्रम में कहा कि विकास की रणनीति को बहुआयामी रखना आवश्यक है क्यों कि केवल नीतियों में सुधार मात्र ही आर्थिक विकास की गारंटी नहीं है। कट्स इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशित इस संग्रह को डॉ रंगराजन और ईएंडवाई के मुख्य नीतिगत सलाहकार और मद्रास स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के पूर्व निदेशक, डॉ डी के श्रीवास्तव ने संयुक्तरूप से संपादित किया है। कट्स व्यापार, विनियम और सुशासन पर पर अग्रणी वैश्विक सार्वजनिक नीति विचारक और कार्य करने वाली संस्था है। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि यह ई-संकलन लेखों का संग्रहण है जो कोविड-19 और उसके बाद के वर्तमान कठिन समय के दौरान सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों पर गहरी अन्तर्दृष्टि प्रदान करता हैं। कट्स इंटरनेशनल के महासचिव प्रदीप महता ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए सूक्ष्म आर्थिक और व्यापक आर्थिक दोनों मुद्दों पर डॉ रंगराजन की गहन अन्तर्दृष्टि की सराहना की। डॉ रंगराजन डॉ रंगराजन पूर्व में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने कोविड-19 महत्वपूर्ण आर्थिक नतीजों को जन्म देने वाला पिछली एक सदी का पहला गैर-आर्थिक संकट बताया। उन्होंने कहा,‘आर्थिक वृद्धि हमारी कई सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का जवाब है। इसे लम्बे समय तक कायम नहीं रखा जा सकता, जब तक कि इसमें निष्पक्षता को भी शामिल नहीं किया जाए। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने आर्थिक और गैर-आर्थिक दोनों कारकों पर ध्यान देकर निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “मजबूत निर्यात और मजबूत विनिर्माण वृद्धि उत्पादन बढ़ाने और रोजगार उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण है।” डॉ श्रीवास्तव ने न केवल कोविड-19 संकट के दौरान, बल्कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भी आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण नीति निर्माताओं के सामने आने वाली विकट चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि जब अर्थव्यवस्था पर दबाव पडा और नीति निर्माताओं को दुविधा का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने जिम्मेदार आर्थिक प्रबन्धन के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक उपाय अपनाए, जिम्मेदार आर्थिक प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।...////...
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