‘विश्व पेट्रोलियम-बाजार में नरमी के बाद अप्रत्याशित लाभ-कर हटाने की सिफारिश ’
13-Jul-2022 09:43 PM 4278
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (AGENCY) ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में भारत में कहा है कि पेट्रोलियम ईंधन के निर्यात और घरेलू कच्चे तेल पर पिछले दिनों जिन हालात में अप्रत्याशित लाभ-कर लगाया गया था, वे परिस्थितियां अब पलट गयी हैं और अब इस कर की समीक्षा की जरूरत है। सीएलएसए की रिपोर्ट विंडफाल टैक्स: ऐज़ दी डस्ट सेटिल्स (आंधी थमने के बाद अप्रत्याशित लाभ कर के निहितार्थ) में दर्शाया गया है कि हाल के सप्ताह में वैश्वक कच्चा तेल बाजार शांत हुआ है और इसका असर परिशोधित पेट्रोलियम उत्पादों के बाजार पर भी पड़ा है और भारत से पेट्रोलियम ईंधन का निर्यात करने वाली तेल शोधन कंपनियों के लाभ का अनुपात काफी कम हो गया है। सीएलएसए की रिपोर्ट में तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर जारी रखने के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतें जून में उच्चतम स्तर पर थीं लेकिन अब इनमें नरमी आने से पिछले दो सप्ताह में डीजल, पेट्रोल और विमान ईंधन तैयार करने वाली रिफाइनरियों के लाभ का मार्जिन भी काफी कम हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है,‘‘अप्रत्याशित लाभ कर को जारी रखने की जरूरत पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।’’ रिपोर्ट के अनुसार इन करों के बाद डीजल और पेट्रोल पर वास्तविक लाभ सीमित रह गया है और एटीएफ तथा कच्चे तेल पर वास्तविक लाभ डेढ़ दशक के औसत से नीचे आ गया है। घरेलू कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर से जहां सरकारी क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी का मार्जिन बुरी तरह प्रभावित हुआ है वहीं निर्यात पर मोटा कर लगने से निजी क्षेत्र की तेल शोधक कंपनी रिलायंस का रिफाइनिंग मार्जिन प्रभावित हो रहा है। विश्लेषण के अनुसार जून में डीजल और एटीएफ पर रिफायनिंग मार्जिन 55-60 डालर प्रति बैरल से घट कर पिछले दो सप्ताह में 25-30 डॉलर प्रति बैरल के आस पर रह गया है। इसी तरह पेट्राल पर मार्जिन 10-15 डॉलर प्रति बैरल के आस पार है जो पहले 30 से 35 डालर तक पहुंच गया था। वैश्विक बाजा में ब्रेंट कच्चा तेल 20 डॉलर घटकर करीब 100 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन-रुस युद्ध से प्रभावित भू राजनैतिक हालात में पिछले महीने विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमतें रिकार्ड ऊंचाई थीं और ईंधन के निर्यात में रिफाइनरी इकाइयों को अप्रत्याशित लाभ मिल रहा था। निर्यात में लाभ को देखते हुए घरेलू तेल शोधक कंपनियां स्थानीय पेट्रोल पंपों के लिए माल की पूरी आपूर्ति करने की जगह निर्यात को बरीयता देने लगी थीं। सीएलएसए की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तेल बाजार की दिशा बदलने से उनके लाभ का मार्जिन काफी सीमित हो गया है। सरकार ने एक जुलाई को डीजल, पेट्रोल और एटीएफ पर क्रमश: 26 डालर , 12 डालर और 12 डालर की दर से निर्यात कर लगा दिया था ताकि ईंधन की घरेलू आपूर्ति को प्रोत्साहित किया जा सके। इसी तरह घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर ऊंचे मार्जिन को देखते हुए 40 डालर प्रति बैरल की दर से अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था। गौरतलब है कि कच्चे तेल के घरेलू उत्पाकों को वैश्विक बाजार में प्रचलित कीमतों के अनुसार ही मूल्य मिलता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि यह कर असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए लगाए गए हैं । वित्त मंत्रालय ने कर लगाते हुए कहा था कि वह हर पखवाड़े इस कर की समीक्षा करेगा।...////...
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