यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता, नाट्यशास्त्र भी शामिल
18-Apr-2025 07:08 PM 8053
नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (संवाददाता) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने दुर्लभ अभिलेखों की अपनी सूची- मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र को भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इसकी प्रशंसा की है और इसे दुनिया भर में रह रहे भारतीयों के लिए गर्व की बात बताया है। इसके साथ ही इस सूची में भारत के दर्ज प्राचीन अभिलेखों की संख्या 14 हो गयी है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण” बताया है। उन्होंने यूनेस्को के गुरुवार के निर्णय के बारे में संस्कृति मंत्री श्री शेखावत के एक पोस्ट पर टिप्पणी में यूनेस्को के फैसले को भारत के शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता और भारत के लोगों के लिए बड़े गर्व की बात बताया। श्री मोदी ने लिखा, “समूचे विश्‍व में प्रत्‍येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण। गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता प्रदान किया जाना है।” प्रधानमंत्री ने लिखा, “गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करना जारी रखे हुए है।” श्री शेखावत ने इसे “भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण!” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को अब यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है। यह वैश्विक सम्मान भारत की शाश्वत बुद्धि और कलात्मक प्रतिभा के लिए हर्ष का अवसर है।” उन्होंने लिखा, “ये कालातीत रचनाएँ साहित्यिक खजाने से कहीं बढ़कर हैं - ये दार्शनिक और सौंदर्यवादी आधार हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार दिया है।” श्री शेखावत ने कहा, “इसके साथ ही, अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं।” दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में यूनेस्को ने अपने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में 74 नए दस्तावेजी विरासतों के संग्रह शामिल करने की घोषणा की। इससे कुल अंकित संग्रहों की संख्या 570 हो गयी। इस रजिस्टर में पुस्तकों, पांडुलिपियों, मानचित्रों, तस्वीरों, ध्वनि या वीडियो रिकॉर्डिंग सहित दस्तावेजी संग्रह शामिल हैं, जो मानवता की साझा विरासत के साक्षी हैं। यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने कहा, “दस्तावेजी विरासत दुनिया की स्मृति का एक आवश्यक तत्व हैं, लेकिन वे (संभालने की दृष्टि से ) नाजुक होते है। यही कारण है कि यूनेस्को इनकी सुरक्षा पर काम करता है - इसमें मॉरिटानिया में चिंगुएट्टी के पुस्तकालय या आइवरी कोस्ट में अमादौ हंपटे बा के अभिलेखागार शामिल हैं जो सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हैं, और इस रजिस्टर को बनाए रखते हैं जो मानव इतिहास के सबसे व्यापक धागों को रिकॉर्ड करता है।” इस रजिस्टर में शामिल नए संग्रहों में से चौदह वैज्ञानिक दस्तावेजी विरासत से संबंधित हैं। इनमें इताफ़ अल-महबूब (मिस्र ) भी है जो पहली सहस्राब्दी के दौरान खगोल विज्ञान, ग्रहों की चाल, आकाशीय पिंडों और ज्योतिषीय विश्लेषण में अरब दुनिया के योगदान का दस्तावेजीकरण है। यूनेस्को ने इस बार चार्ल्स डार्विन (ब्रिटे), फ्रेडरिक नीत्शे (जर्मनी), विल्हेम कॉनराड रोएंटजेन (जर्मनी) के अभिलेख भी दर्ज किए हैं जिसमें सबसे पहले दर्ज की गई एक्स-रे तस्वीरें हैं । इसी तरह कार्लोस चागास (ब्राजील) के अभिलेख भी हैं जो इस युग में रोगों पर आधुनिक अनुसंधान में अग्रणी थे।...////...
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