‘ देश के विनिर्माण क्षेत्र में निवेश का प्रतिफल तेजी से सुधार पर ’
09-Aug-2023 10:40 PM 3763
मुंबई, 08 अगस्त (संवाददाता) भारत के विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों में निवेशकों का प्रतिफल पिछले कुछ वर्षों तेजी से सुधरा है और इस क्षेत्र के शेयर सूचकांक का प्रदर्शन निफ्टी 500 , निफ्टी सर्विसेज जैसे सूचकांकों में निवेश की तुलना में बेहतर रहा है। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवा कंपनी एम के इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स लि (ईआईएमएल) द्वारा बुधवार को आयोजित एक मीडिया वेबीनार में इस क्षेत्र पर प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र में ‘बहुत सारी संभावनाएं हैं। ईआईएमएल ने कहा, “ सरकार की अनुकूल नीतियों’ तथा वैश्विक कंपनियों द्वारा ‘चीन के साथ एक अन्य देश’ को विनिर्माण का अड्डा बनाने की रणनीति से भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए अवसर बढ़े हैं। ” एम के ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज समूह की कंपनी ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा, “ बीएसई मैन्युफैक्चरिंग सूचकांक बाजार के अन्य प्रमुख शेयर सूचकांकों की तुलना में तेज गति से बढ़ा है और अगले कुछ वर्षों में भी यही प्रदर्शन दोहराए जाने की संभावना है। ” ईआईएमएल ने कहा कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न कारणों से शानदार वृद्धि देखी गई है - इसमें सरकार द्वारा इस क्षेत्र पर दिया गया जोर प्रमुख है। कंपनी के अनुसार 2015-19 के दौरन निवेशकों के लिए प्रतिफल की दृष्टि से इस क्षेत्र की सूचीबद्ध कंपनियों का प्रदर्शन छोटे इकाई अंक के साथ सबसे खराब श्रेणी का था। कंपनी ने कहा है कि संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण पिछले कुछ समय में इस क्षेत्र को सही प्रोत्साहन मिला है तथा इसके कारण, इस क्षेत्र के सूचकांक का प्रदर्शन निफ्टी 500, निफ्टी बैंक, निफ्टी 50, निफ्टी सर्विसेज और निफ्टी आईटी से बेहतर रहा है। कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार 2021 मार्च से इस क्षेत्र की कंपनियों का वृद्धि का प्रदर्शन उच्च दोहरे अंकों में रहा है। ईआईएमएल के प्रस्तुतीकरण में कहा गया है कि वर्तमान में सरकारी पूंजीगत व्यय का अनुपात ऐतिहासिक औसत के दो गुने स्तर पर है। कंपनी के अनुसार इस समय केंद्र और राज्यों का पूंजीगत व्यय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5.6 प्रतिशत है जो कोविड के पूर्व के में 2.8 प्रतिशत था। कंपनी ने कहा कि सरकार ने सड़कों और रेलवे बुनियादी ढांचे के निर्माण पर खर्च बढ़ाया है। इससे पहले 2003-08 दौरान सरकारी पूंजीगत व्यय में तेजी देखी गयी थी और उस दौरान पूंजीगत व्यय साल दर साल 23 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। वेबिनार में एम के ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के एमडी कृष्ण कुमार करवा ने कहा, “ अब भारत के विनिर्माण क्षेत्र का समय आ गया है। इस ओर सरकार का ध्यान और मेक इन इंडिया, पीएलआई योजना जैसी नीतियां इस क्षेत्र की वृद्धि के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करती रहेंगी। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि वैश्विक कंपनियों की ‘चीन के साथ एक और देश’की रणनीति के जोर पकड़ने पर भारत के इस क्षेत्र में विदेशों से पूंजी निवेश का और अधिक प्रवाह देखने को मिलेगा। ” एम के इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स लिमिटेड के फंड मैनेजर सचिन शाह ने कहा, इस क्षेत्र की वृद्धि के लिएआवश्यक अधिकांश परिस्थितियां ठीक हो गयी हैं। घरेलू कंपनियों द्वारा स्थानीय विनिर्माण का काम तेज हुआ है और विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में विनिर्माण के अड्डे स्थापित करने की सोच का भी विस्तार हो रहा है।...////...
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