आरबीआई की बैठक के विवरण में झलकी मुद्रास्फीति की गंभीर चिंता
22-Apr-2022 09:48 PM 1963
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (AGENCY) भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्यों ने 6-8 अप्रैल की पिछली बैठक में यद्पि नीतिगत दर को पहले के स्तर पर बनाए रखा पर बैठक के शुक्रवार को जारी विवरण से पता लगता है कि सदस्यों में महंगाई के बढ़ते दबाव को लेकर चिंता है। कार्यवाही के विवरण अनुसार एमपीसी के अध्यक्ष एवं आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने बैठक में कहा था कि घरेलू आर्थिक वृद्धि दर के लिए जोखिमों को देखते हुए नरम मौद्रिक नीति को जारी रखने की जरूरत है लेकिन मुद्रास्फीति के दबाव के कारण मौद्रिक नीति की कार्रवाई जरूरी है। श्री दास ने कहा था,“परिस्थिति की मांग है कि आर्थिक वृद्धि में हो रहे सुधार को देखते हुए वृहद आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता की रक्षा उद्देश्यों का क्रम निर्धारित करने में मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति की प्रत्याक्षा को बांधें रखने को प्राथमिकता दी जाए।” मार्च महीने की खुदरा मुद्रास्फीति 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गयी जबकि थोक मू्ल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति भी दहाई अंक में बनी रही। एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि में सहयोग के लिए नीतिगत ब्याज दर को स्थिर रखा लेकिन बहुत से अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आगामी जून की बैठक में समिति नीतिगत दर बढ़ा सकती है। एमपीसी को खुदरा मुद्रास्फीति 2-6 प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी दी गयी है। विवरण के अनुसार एमपीसी के सदस्य शशांक भिडे ने कहा था कि मार्च में ईंधन और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी का पहले दौर का असर लगता है यद्पि इन कीमतों को अभी पूरी तौर से ग्राहकों पर डाला जाना बाकी है। भिडे का मानना था कि अगली तीन-चार तिमाहियों तक आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के मामले में अनिश्चिता बढ़ेगी। एमपीसी की सदस्य अशिमा गोयल ने कहा था कि हल्के सुधार और जिंसों की ऊंची कीमतों के रहते जरूरी नहीं है कि रेपो दर कम किया जाए। उन्होंने कहा था,“आगे की नीतिगत दर में नरमी पर रोक लगा देगी या उसे बढ़ा देगी।” आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी के सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा था कि उपभोक्ताओं पर महंगाई का असर हो रहा है। श्री पात्रा ने कहा था,“60 प्रतिशत विकसित देशों में मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर चल रही है जो 1980 के दशक के बाद से कभी सुनी नहीं गयी थी। इसी तरह ज्यादातर विकासशील देशों में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊपर चली गयी है। कीमतों की यह तेजी समाज के धैर्य की परीक्षा ले रही है।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^