आर्थिक सर्वे में अगले वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि 8.0-8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान, राजकोषीय स्थिति में सुधार
31-Jan-2022 06:04 PM 8569
नयी दिल्ली, 31 जनवरी (AGENCY) कोविड-19 की ताजा लहर में नरमी और आबादी के बड़े हिस्से के टीकाकरण के बीच सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा अगले वित्त वर्ष 2022-23 में 8.0-8.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का एक सावधानीभरा अनुमान लगाया गया है और राजकोषीय स्थिति को पिछले दो वर्ष की तुलना में बेहतर रहने की संभावना जतायी गयी है। यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के अनुमान से कम है जिसने हाल में वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 में भारत की वृद्धि नौ-नौ प्रतिशत रहने तथा 2023-24 में इसके 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। समीक्षा में कहा गया है कि इन अनुमानों को देखते हुए भारतीय अर्थव्यस्था इन तीनों वर्षों में दुनिया में सबसे तीव्र गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था रहेगी। अग्रिम सरकारी अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (डीडीपी) के वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि 9.2 प्रतिशत रहेगी जबकि पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी। राजकोषीय दशा को कोविड से त्रस्त पिछले दो वर्षों की तुलना में काफी बेहतर बताया गया है। वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा तैयार की जाने वाली वार्षिक आर्थिक समीक्षा को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण में संसद के दोनों सदनों लोक सभा और राज्य सभा के पटल पर रखा। आर्थिक समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करने के साथ-साथ इसके समक्ष आंतरिक और वाह्य चुनौतियों तथा संभावनाओं को प्रस्तुत किया गया है। इसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के रुझान और अनुमान आंकड़ों सहित प्रस्तुत किए गए हैं। समीक्षा में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि का यह अनुमान इस मान्यता पर आधारित है कि इस दौरान महामारी को लेकर आगे कोई आर्थिक गतिरोध नहीं पैदा होगा, मानसून सामान्य रहेगा, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों द्वारा नकदी प्रवाह को कम करने का प्रस्तावित काम व्यवस्थित ढंग से होगा, तेल की कीमतें 70-75 डाॅलर प्रति बैरल के बीच रहेंगी तथा वर्ष के दौरान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की रुकावटें धीरे-धीरे कम हो जाएगी। अगले वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि का यह अनुमान ऐसे समय आया है जबकि कोविड-19 की नयी लहर हल्की पड़ रही है तथा देश में कोविड टीकाकरण के तहत योग्य 90 प्रतिशत से अधिक नागरिकों को काेरोना की एक डोज तथा 75 प्रतिशत को दोनों डोज लग चुकी है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज ही संसंद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि देश को ऐसा रक्षा कवच दिया है जिससे हमारे नागरिकों की रक्षा हुई और उनका मनोबल भी बढ़ा है। आर्थिक समीक्षा में अगले साल की आर्थिक वृद्धि का अनुमान विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अनुमानों के स्तर का ही है। इन बहुपक्षीय वित्तीय संगठनों ने भारत के जीडीपी में अगले साल क्रमश 8.7 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की अर्थशास्त्री अदिती नायर ने कहा,“आर्थिक सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष के लिए 8.0-8.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान इस अनुमान की ओट लेकर लगाया गया है कि आगे कोरोना की लहर का व्यवधान नहीं आएगा। हमारा मानना है कि सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न उपायों से आर्थिक इकाइयां स्थिति का मुकाबला करने के लिए अब पहले से अच्छी स्थिति में हैं।’ सुश्री नायर ने यह भी कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार के सरकारी पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर उत्साहजनक है, क्योंकि इससे आर्थिक स्थिति में मजबूत सुधार को बल मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि आगामी बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन पर्याप्त होना चाहिए। इक्रा का अब भी मानना है कि विनिवेश से प्राप्तियों का अनुमान पूरा न होने से जकोषीय घाटा अनुमान से कुछ ऊपर जा सकता है। सम्पत्ति बाजार पर अनुसंधान करने वाली कंपनी नाइट फ्रैंक की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा,“ वित्त वर्ष 2013 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण का 8-8.5 की आर्थिक वृद्धि का अनुमान सावधानी भरा है और आईएमएफ द्वारा अनुमानित की तुलना में कम है।” समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के बढ़ते महत्व को रेखांकित करते हुए कहा गया है सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत है। महामारी के कारण सम्पर्क पर आधारित होटल, यात्रा, पर्यटन और अन्य सेवाओं के कारोबार पर सबसे अधिक आघात के वावजूद 2021-22 की पहली छमाही के दौरान सेवा क्षेत्र में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष में समग्र सेवा क्षेत्र में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। सेवा क्षेत्र में वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में 16.73 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्‍त हुआ और वित्त वर्ष की पहली छमाही में सेवाओं के शुद्ध निर्यात में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। समीक्षा में राजकोषीय स्थिति में हाल के वर्षों की तुलना में सुधार का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सरकार राजस्व संग्रह पर जोर और लक्षित व्यय नीति के चलते अप्रैल-नवंबर 2021 की अवधि में राजकोषीय घाटा पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 46.2 प्रतिशत रहा। अप्रैल-नवंबर 2020 की इसी अवधि में यह बजट अनुमान का 135.1 प्रतिशत और और अप्रैल-नवंबर 2019 में बजट अनुमान का 114.8 प्रतिशत था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-नवंबर की अवधि की सरकार की प्राप्तियों में एक साल पहले की इसी अवधि की तुलना में 67.2 प्रतिशत की वृद्धि और 2021-22 के बजट अनंतिम वास्तविक अनुमानों की तुलना में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह इस दौरान सरकार का सकल कर राजस्व सालाना आधार पर 50 प्रतिशत से अधिक रहा। समीक्षा में कहा गया है कि यह प्रदर्शन 2019-2020 के पूर्व-महामारी स्तरों की तुलना में भी मजबूत है। अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान, पूंजीगत व्यय में सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बुनियादी ढांचा-गहन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। कोविड महामारी से पैदा हालात से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का प्रबंध करने में केंद्र सरकार का कर्ज बढ़कर 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद का 59.3 प्रतिशत हो गया है। यह 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद के 49.1 प्रतिशत के बराबर था।...////...
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