अभय वर्मा रंगारंग कैम्पेन 'यस टू फ्रेश' में मुख्य भूमिका में दिखेंगे
06-Nov-2024 09:38 PM 8829
मुंबई, 06 नवंबर (संवाददाता) परफेटी वैन मेले इंडिया के ब्रांड मेंटोस ने लंबे समय के बाद टेलीविजन स्क्रीन पर रंगारंग कैम्पेन 'यस टू फ्रेश' लॉन्च किया है। यह कैम्पेन मेंटोस के ताजा स्वाद के साथ उबाऊ और बोरियत भरे पलों को शानदार अनुभव में बदलने की कहानी कहता है। इस कैम्पेन में अभिनेता अभय वर्मा मुख्य भूमिका में दिखेंगे। इस कैम्पेन में दिखाया गया है कि किस प्रकार मेंटोस आपके रोज़मर्रा के पलों को तरोताजा और ऊर्जा से भरपूर बना देता है। ब्रांड फिल्म के पीछे की सोच यह दिखाना है कि मेंटोस कैंडी खाने का मतलब है मौज-मस्ती, साथ ही इसे खाने से जिंदगी में एक ताजगी और क्रिएटिविटी आ जाती है। मेंटोस की यही खूबी ‘यस टू फ्रेश’ कॉन्सेप्ट में भी दिखाई देती है।अभय वर्मा ने कहा,बचपन में, मेरे लिए रिफ्रेशमेंट का मतलब मेंटोस था। मैं अपनी रोज़ाना की पॉकेट मनी से सबसे पहले मेंटोस खरीदता था। ईमानदारी से कहूं तो आज भी यही होता है! वास्तव में, अब रेनबो रोल के साथ मेंटोस और भी बेहतर हो गई है। यह हमेशा से मेरी जिंदगी में शामिल रहा है। यही कारण है कि इतने सालों के बाद भी इस प्रतिष्ठित ब्रांड का चेहरा बनकर, मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरी जिंदगी का चक्र पूरा हो गया हो। यह मेरी ओर से 'यस टू फ्रेश' है, क्योंकि मैं जिंदगी को खुलकर जीता हूं। इस फिल्म की शुरुआत एक आम बायोलॉजी क्लास से होती है, जहां छात्र ऊबे हुए, जम्हाई लेते और खोए खोए से दिखाई देते हैं। मुख्य भूमिका निभाने वाले अभय वर्मा इसी ऊब के बीच मेंटोस कैंडी को अपने मुंह में डालते हैं। मेंटोस खाते ही तुरन्त ही उसे ताजगी की लहर महसूस होती है। उनके मूड में आया ये बदलाव दमदार म्यूजिक और बदले माहौल से साफ पता भी चलता है। ऐसे में बोरियत भरी क्लास अभय के दिमाग में एक जिंदादिल जगह में बदल जाती है। उसके कपड़े रंग-बिरंगे हो जाते हैं, दीवारें जगमगाने लगती हैं, बेंचें घूमने लग जाती हैं और पूरे माहौल में मस्ती फैल जाती है, जबकि उसके पास बैठे दूसरे छात्र इससे पूरी तरह से अनजान रहते हैं, यह इस पूरे सीन को और भी मजेदार बना देता है। कागज़ों के उड़ने से एक छात्र चौंक कर जाग जाता है, वहीं एनाटॉमी की किताब एक लड़की के चेहरे पर मजेदार तरीके से गिर पड़ती है, दूसरी ओर प्रोफेसर की विग उड़ जाती है, तो एक ओर नाचता हुआ कंकाल दिखाई देता है। मज़ा उस वक्त अपने चरम पर पहुंच जाता है जब अभय एक और मेंटोस खाता है। इसे बाद एनर्जी एक नए स्तर पर पहुंच जाती है, और पूरी क्लास उत्साह के साथ बेकाबू होकर घूमने लगती है। फिल्म के अंत में मेंटोस का जाना पहचाना लोगो दिखाई देता है। यह याद दिलाता है कि कैसे मेंटोस उबाऊ पलों को मज़ेदार बना सकता है।...////...
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