18-Nov-2024 08:42 PM
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मुंबई 18 नवंबर (संवाददाता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यहां कहा कि बैंकिंग समुदाय को एमएसएमई को केवल जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में नहीं बल्कि अवसरों से भरपूर क्षेत्र के रूप में देखना चाहिए।
श्रीमती सीतारमण ने यहां एसबीआई बैंकिंग एंड ईकॉनोमिक कान्कलेव 2024 में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था, अपने पारंपरिक या आधुनिक रूप में, एमएसएमई पर बहुत अधिक निर्भर करती है और हमें उनकी आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। ऋण मूल्यांकन में नवाचार के माध्यम से एमएसएमई का समर्थन करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। छोटे ऋण उद्यमशीलता और रोजगार सृजन को सक्षम करते हैं और इसलिए उन्हें उचित ध्यान मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से, बैंकिंग क्षेत्र ने संपार्श्विक-आधारित ऋण मॉडल पर बहुत अधिक भरोसा किया है। यह दृष्टिकोण, कुछ मामलों में प्रभावी होने के बावजूद, हमेशा एमएसएमई की विशिष्ट आवश्यकताओं और वित्तीय संरचनाओं के साथ संरेखित नहीं होता है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा “यही कारण है कि इस साल जुलाई के बजट में, हम एमएसएमई के लिए घोषणाएं लेकर आए हैं। यदि बैंक उन्हें सावधि ऋण देने में हिचकिचाते थे क्योंकि उन्हें पर्याप्त संपार्श्विक की आवश्यकता होती थी, तो सरकार ने बजट में एमएसएमई के लिए संपार्श्विक मुक्त ऋण देने की घोषणा की है। नकदी प्रवाह आधारित ऋण में एमएसएमई इकाइयों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को संबोधित करने की परिवर्तनकारी क्षमता है। कुछ दिन पहले, मैंने एससीबी और एनबीएफसी के लिए इस वित्तीय वर्ष में 1.54 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त एमएसएमई ऋण का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो कि ‘सामान्य रूप से व्यवसाय’ दृष्टिकोण के साथ इस वर्ष दिए जाने वाले अनुमानित 4.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।”
उन्होंने कहा कि इसी तरह, बैंकों को वित्त वर्ष 2025-26 में 6.12 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2026-27 में 7 लाख करोड़ रुपये उधार देने का लक्ष्य रखना चाहिए।...////...