बैंकिंग प्रणाली दीर्घकालिक परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए बेहतर स्थिति में: सीतारमण
18-Nov-2024 09:07 PM 5222
मुंबई 18 नवंबर (संवाददाता) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यहां कहा कि भारत की सुदृढ़ बैंकिंग प्रणाली, स्वच्छ बैलेंस शीट और पर्याप्त पूंजी बफर तथा मजबूत आय के साथ, दीर्घकालिक परियोजनाओं के वित्तपोषण को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है। श्रीमती सीतारमण ने यहां भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के बाद एसबीआई बैंकिंग एवं ईकॉनोमिक कान्कलेव 2024 को संबोधित करते हुये यह बात कही। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हालिया परिणाम उनके बीच लचीलापन दिखाते हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए परिचालन लाभ 1.5 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 14.4 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में शुद्ध लाभ 85,520 करोड़ रुपये रहा है जो पिछले वित्तर्ग्ष की समान अवधि के लाभ की तुलना में 25.6 प्रतिशत अधिक है। सितंबर 2024 तक पीएसबी का सकल और शुद्ध एनपीए क्रमशः 3.12 प्रतिशत और 0.63 प्रतिशत रहा। पूंजी से जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) 11.5 प्रतिशत की नियामक आवश्यकताओं के मुकाबले सितंबर2024 में 15.43 प्रतिशत रहा। उन्होंने कहा “2014 से, हमारी सरकार ने वित्तीय समावेशन लाने का प्रयास किया और परिणामस्वरूप हम वित्तीय समावेशन के एक निश्चित स्तर तक पहुँचने में सक्षम हुए, जिसके साथ आप अर्थव्यवस्था में गति देख सकते हैं। वित्तीय समावेशन और औपचारिक पहचान के निम्न स्तर को 2008 में एक समस्या के रूप में पहचाना गया था। लेकिन 2011 और 2021 के बीच औपचारिक वित्तीय संस्थान में खाता रखने वाले वयस्कों की संख्या 35 प्रतिशत से दोगुनी होकर 77 प्रतिशत हो गई।” उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, पुरुषों और महिलाओं और अमीर तथा गरीब के बीच वित्तीय पहुंच में अंतर को कम किया है। हालांकि वित्तीय समावेशन केवल बैंक खाते खोलने के बारे में नहीं है। यह सभी के लिए ऋण, बीमा और निवेश के अवसरों तक पहुंच सुनिश्चित करने के बारे में है। श्रीमती सीतारमण ने कहा “हमें 'डिजिटल वित्तीय समावेशन (डीएफआई)' सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि लागत प्रभावी डिजिटल साधन सभी तक पहुंच सकें। दशक भर में, जन धन योजना और डीबीटी के माध्यम से, पुरुषों और महिलाओं सहित 54 करोड़ भारतीय, अंतिम मील पर और औपचारिक बैंकिंग नेट के बाहर, सभी वित्तीयकरण के फल का आनंद लेने आए हैं।” उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन की अगली लहर में इन बचतकर्ताओं को कुशाग्र निवेशकों में बदलते हुए देखना चाहिए, यह बैंकिंग के लिए एक अनूठी भारतीय शैली में अंतिम सफलता होगी। डिजिटल वित्तीय साक्षरता भी डिजिटल लेनदेन में जनता का विश्वास बनाने के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। बैंकों के प्रबंधन में बेहद सावधान रहने की सलाह देते हुये उन्होंने कहा कि शासन को प्राथमिकता दी जाए। वित्तीय समावेशन के 'पहुंच' और 'गुणवत्ता' दोनों पहलुओं को संबोधित करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि समाज के सभी वर्ग 'विकसित भारत' की ओर भारत की यात्रा का हिस्सा बनें।...////...
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