बिहार जातिगत जनगणना पर केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामा वापस लिया
28-Aug-2023 11:21 PM 1532
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (संवाददाता) केंद्र सरकार ने बिहार में जातिगत जनगणना पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष सोमवार की सुबह एक हलफनामा दायर किया और शाम होते-होते उसे वापस ले लिया। केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को जाति आधारित जनगणना करने को हरी झंडी देने वाले पटना उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना पक्ष रखते हुए सुबह कहा था कि संविधान के तहत केंद्र के अलाव कोई अन्य निकाय के पास जनगणना या इस प्रकार कोई कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार ने शाम में एक नया हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया, 'केंद्र सरकार ने आज सुबह एक हलफनामा दायर किया है। उक्त हलफनामे में 'अनजाने में' पैरा 5 आ गया है। इसलिए, उक्त हलफनामा वापस लिया जाता है। हालांकि, केंद्र के ताज़ा हलफनामे में फिर से कहा गया है कि जनगणना एक वैधानिक प्रक्रिया है और यह जनगणना अधिनियम 1948 द्वारा शासित होती है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 21 अगस्त को शीर्ष अदालत के समक्ष कहा था कि बिहार सरकार द्वारा शुरू किए गए जातिगत सर्वेक्षण का असर होगा। इस लिए उसे (केंद्र) हलफनामा दाखिल करने की आवश्यकता होगी। शीर्ष अदालत ने इसकी मंजूरी दे दी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने दो पन्नों का के जबाव में कहा है कि केंद्र सरकार संविधान के प्रावधानों और लागू कानून के अनुसार एससी/एसटी/एसईबीसी और ओबीसी के उत्थान के लिए सभी सकारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। हलफनामे में कहा गया है, 'जनगणना एक वैधानिक प्रक्रिया है और जनगणना अधिनियम 1948 के तहत होती है।जनगणना का विषय सातवीं अनुसूची में प्रविष्टि 69 के तहत संघ सूची में शामिल है।' सरकार ने उक्त प्रविष्टि के तहत वर्णित शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने जनगणना अधिनियम 1948 बनाया है। शीर्ष अदालत ने नीतीश कुमार सरकार द्वारा की गई कवायद पर रोक लगाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था, 'हम सर्वेक्षण या डेटा के प्रकाशन पर तब तक रोक नहीं लगाएंगे जब तक कि प्रथम दृष्टया मामला सामने न आ जाए क्योंकि प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है।' पटना उच्च न्यायालय ने एक अगस्त को राज्य में जाति जनगणना कराने के बिहार सरकार के 6 जून 2022 के फैसले को मंजूरी दे दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह अभ्यास पूरी तरह से वैध था और 'न्याय के साथ विकास' प्रदान करने के वैध उद्देश्य के साथ उचित क्षमता के साथ शुरू किया गया था‌।...////...
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