बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने किया झांसी मंडलायुक्त का सम्मान
21-Jul-2022 06:57 PM 3530
झांसी 21 जुलाई (AGENCY) उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बुंविवि) में इस क्षेत्र के सामाजिक, सांस्कृतिक ,साहित्यिक, खान पान , संगीत और लोक कलाकारों के उत्कृष्ट कार्य को नयी पहचान दिलाने के लिए पूरी गंभीरता और एक सवर्था अनूठी सोच के साथ काम करने वाले झांसी मंडलायुक्त डॉ़ अजय शंकर पांडेय का गुरूवार को सम्मान किया गया। यहां विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति प्रो़ मुकेश पांडेय के कमेटी हॉल में सभी संकाय अध्यक्षों और प्राेफेसरों की मौजूदगी में बुंदेलखंड क्षेत्र की विविधताओं को देश और दुनिया के पटल पर रखने के लिए एक अलग ही प्रकार की सोच के साथ काम करने वाले झांसी मंडलायुक्त को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर कुलपति ने डॉ़ पांडेय के उत्कृष्ट कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि मंडलायुक्त की पहल पर बुन्देलखंड की सांस्कृतिक विरासत, कला, साहित्य, संगीत व व्यंजनों को एक नई गति प्राप्त हुई है। बहुमुखी प्रतिमा के धनी डॉ़ पाण्डेय के नेतृत्व में बुन्देलखण्ड के गुमनाम साहित्यकारों को नाम मिला एवं बुन्देलखंड की महनीय विभूतियों को पर्ल्स ऑफ बुन्देलखंड समिति के अन्तर्गत समाज में नाम दिलाने व सम्मानित करने की भी योजना है। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय परिसर की जमीन पर कई दशकों से चले आ रहे अवैध कब्जों को मंडलायुक्त की पहल पर हटाया गया। स्मार्ट सिटी योजना के अन्तर्गत एक 'योग केंद्र ' की स्थापना भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि विगत दिनों विश्वविद्यालय में पर्चा लीक के संवेदनशील मामले को मंडलायुक्त के निर्देश पर 24 घंटे में सुलझाया गया एवं दोषियों को चिन्हित कर उन पर नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई की गयी। इस अवसर पर मण्डलायुक्त ने अपने संबोधन में पूर्व में राजस्थान कुलाधिपति के प्रधान सचिव के रूप में किये गये अपने कार्यों के अनुभव को साझा करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के मुख्य कर्तव्यों व उद्देश्यों पर विस्तार से ज्ञानवर्द्धक चर्चा की तथा इन कर्तव्यों को एकसूत्र में पिरोते हुए “ आठ-प” अर्थात प्रवेश, परिवेश, पढाई,परीक्षा, परिणाम, पुर्नमूल्यांकन,पदवी और प्लेसमेंट का सूत्र दिया। डॉ़ पांडेय ने कहा कि विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को समय से प्रवेश मिले, महाविद्यालयों का परिवेश साफ-सुथरा हो, अराजकता से मुक्त महिला सम्मान की भावना से भरपूर होना चाहिए, विश्वविद्यालयों में समय से कक्षायें चलें, विद्यार्थी और अध्यापक कक्षाओं में उपस्थित रहें, परीक्षा और पढ़ाई गुणवत्तापरक हो। परीक्षा / परीक्षण समय से हो परीक्षाओं में सुचिता, गोपनीयता और पारदर्शिता बनाये रखी जाय साथ ही परीक्षाओं के बाद उत्तर पुस्तिकाओं का परीक्षण ससमय और गुणवत्तापरक सुनिश्चित करते हुए पूरा किया जाय, समय से परीक्षा परिणाम घोषित हो। विलम्ब से यदि परीक्षा परिणाम घोषित होता है तो विद्यार्थियों को विलम्ब से डिग्री मिलने के कारण रोजगारपरक सेवाओं में आवेदन करने से वंचित रहना पड़ता है। इसके लिये समय से परिणाम निकालना विश्वविद्यालय का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यह देखा जाता है कि परिणाम निकलने के बाद बहुत से विद्यार्थी अपने अंकों से सतुष्ट नहीं होते हैं और वे पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करते हैं। पुनर्मूल्यांकन के परिणाम काफी विलम्ब से आते हैं या उनमें भी काफी अधिक अनियमितताएं बनी रहती हैं अतः पुनर्मूल्यांकन की सुचिता व समयबद्धता को सुनिश्चित बनाये रखा जाय, पदवी (डिग्री) दीक्षांत समारोह प्रत्येक वर्ष समय से सुनिश्चित हो, इसकी व्यवस्था विश्वविद्यालय को करनी चाहिए। विद्यार्थियों को समय से डिग्री मिल जाय यह भी विश्वविद्यालय का कर्तव्य होना चाहिए, विश्वविद्यालय का दायित्व केवल विद्यार्थियों को पढ़ाना और उन्हें डिग्री बांटना नहीं है बल्कि विद्यार्थियों को उनकी योग्यता, क्षमता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाना उनका दायित्व होना चाहिए। इसके लिये प्लेसमेंट सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालयों को विभिन्न निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के साथ समन्वय बनाते हुये आगे बढ़ना चाहिए। विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारियों व प्रोफेसरों ने इस मंत्र की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इसे विश्वविद्यालय की कार्यशैली में शामिल करने का संकल्प भी लिया।...////...
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