चंडीगढ़ को स्थायी केंद्रशासित बनने से रोकने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
28-Mar-2022 11:01 PM 2914
चंडीगढ़, 28 मार्च (AGENCY) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने चंडीगढ़ को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन कर स्थायी केंद्र शासित प्रदेश बनाने के प्रयासों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान से केंद्र से संपर्क करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग आज की। शिअद ने यहां जारी बयान में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से केंद्रीय शासित प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्रीय नागरिक सेवा नियमों के तहत लाने की घोषणा की निंदा करते हुए कहा कि “अब यह आम आदमी पार्टी पर निर्भर करता है कि वह केंद्र को समझाए कि चंडीगढ़ केवल एक तदर्थ व्यवस्था के अनुसार केंद्रीय शासित प्रदेश है। हम चंडीगढ़ के मुलाजिमों के विरूद्ध नही हैं, उनके हितों की रक्षा पंजाब सरकार भी कर सकती है। लेकिन हम कर्मचारियों को सिविल सोसायटी के खिलाफ खड़ा करने के इस हाल ही के कदम का विरोध करते हैं और उनका चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकारों को छीनने के लिए उनका उपयोग करने के इस हाल ही के कदम का दृढ़ता से विरोध करते हैं।“ प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, चरनजीत सिंह अटवाल, महेशइंदर सिंह ग्र्रेवाल, गुलजार सिंह रणीके, डॉ. दलजीत सिंह चीमा और हीरा सिंह गाबड़िया सहित वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री से राज्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का आहवाहन किया। उन्होंने संयुक्त बयान में कहा कि मुख्यमंत्री ने हाल ही में प्रधानमंत्री के साथ अपनी मीटिंग के दौरान भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में पंजाब की हिस्सेदारी कम करने का मुददा नही उठाया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ने इस मुददे पर कड़ा विरोध दर्ज कराया होता, तो केंद्र चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र नियमों का विस्तार करने के कदम पर आगे बढ़ने से कतराता। नेताओं ने कहा यह निंदनीय है कि जब श्री मान ने आप पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की फटकार से डर से इस मुददे को प्रधानमंत्री के सामने नहीं उठाया, वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पहले ही पंजाब का पानी हरियाणा की तरफ छोड़ने की मांग कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने मनोहर लाल खट्टर के बयान पर चुप रहने का फैसला किया है। उन्होंने मांग की कि इन सभी मुददो को सर्वदलीय बैठक में उठाया जाना चाहिए। प्रो. चंदूमाजरा ने कहा कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों के लिए केंद्रीय सिविल सेवा नियमों का विस्तार करने का हालिया निर्णय न केवल पंजाब पुनर्गठन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि राजीव गांधी- संत हरचंद सिंह लौंगोवाल समझौते और कई बाद के आयोगों का भी उल्लंघन है, जिनमें सभी ने माना था कि चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाब का हिस्सा बहुत ज्यादा है और केंद्र शासित प्रदेश का रूतबा सिर्फ अस्थाई प्रबंध चंडीगढ़ पंजाब को देने तक के लिए किया गया फैसला है। उन्होंने कहा कि पुनर्गठन अधिनियम में निर्धारित पंजाब और हरियाणा के अुनपात में 60ः40 के खिलाफ जाकर केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों के लिए अलग से कैडर बनाने सहित केंद्रीय निर्णय पंजाब से सलाह किए बगैर किए गए थे तथा ऐसे सभी निर्णयों की तुरंत समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अकाली दल का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत करवाएगा तथा इसे वापिस लेने की मांग करेगा। शिअद नेता ने केंद्र से राज्य के मामलों में इस हद तक हस्तक्षेप नहीं करने का अनुरोध किया और संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांत का सम्मान करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अकाली दल संघवाद का समर्थक है और हर कीमत पर राज्य के अधिकारों की रक्षा का प्रयास करेगा।...////...
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