दलहन,तिलहन के मुकाबले दूध के क्षेत्र में कोई समस्या नहीं: शाह
10-Apr-2022 09:18 PM 7724
गांधीनगर 10 अप्रैल (AGENCY) केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि दलहन और तिलहन के मुक़ाबले आज दूध के क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है क्योंकि दूध के क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन ने मज़बूत होकर अनेक राज्यों में अच्छा काम किया है और इसमें एनसीडीएफआई की बहुत बड़ी भूमिका है। श्री शाह गुजरात की राजधानी गांधीनगर में आज नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीडीएफआई) के स्वर्ण जयंती समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। श्री शाह ने कहा कि आज यहाँ एक बहुआयामी कार्यक्रम हुआ जिसमें राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी), वेस्ट से वेल्थ की अवधारणा को सजीव करने के लिए गोबरधन योजना की शुरुआत करने जा रही है। इसमें गुजरात सरकार भी अपना योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि आज डेयरी के क्षेत्र में किसानों तक उनका अधिकार और रूपया पहुँचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था के साथ अच्छा कार्य करने वालों को पुरस्कार भी दिए गए हैं। साथ ही आज डेयरी संघ के स्वर्ण जयंती का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर मैं एनसीडीएफआई से संबद्ध 223 ज़िला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, 27 राज्य संघ और अनेकानेक ग्रामीण दूध उत्पादन सहकारी समितियों को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस सहकारिता आंदोलन ने भारत को न केवल दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है बल्कि देश की आने वाली पीढ़ियों को पोषणयुक्त बनाकर कुपोषण की समस्या हल करने में अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेल, मोरारजी देसाई और त्रिभुवन दास ने दूध के सहकारिता आंदोलन से देश के एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने की कल्पना नहीं की होती तो आज पोषण के मामले में हम कहाँ होते ऐसा सोचते ही एक भयावह चित्र हमारे सामने खड़ा हो जाता। श्री शाह ने कहा कि दलहन और तिलहन के मुक़ाबले आज दूध के क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है क्योंकि दूध के क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन ने मज़बूत होकर अनेक राज्यों में अच्छा काम किया है और इसमें एनसीडीएफआई की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों ने बूँद बूँद करके देशभर में दूध की धारा बहाई है और इसमें सहकारिता क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान है। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कोई भी संस्था जब 50 साल की हो जाती है तो ऐसा कहते हैं कि वह कालबाह्य हो जाती है क्योंकि समय बदलता है और संस्था जस की तस चलती है और धीरे-धीरे समय उसको अनुपयोगी बना देता है। इसलिए स्वर्ण जयंती अच्छे कामों को याद कर गौरव महसूस करने का अवसर तो है ही साथ ही आज संस्था में किस परिवर्तन की ज़रूरत है उस पर भी विचार करने का समय होता है। अगर यह आत्मचिंतन नहीं होता तो संस्थाएं ग़ैर प्रासंगिक और कालबाह्य हो जाती हैं क्योंकि समय परिवर्तनशील है। इसलिए संस्थाओं में परिवर्तन करने के लिए स्वर्ण जयंती से अच्छा अवसर नहीं होता।...////...
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