हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोके मणिपुर सरकार: एनएचआरसी
25-Jul-2023 11:54 PM 8569
नयी दिल्ली 25 जुलाई (संवाददाता) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मणिपुर सरकार से राज्य में जारी हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए कहा है। साथ ही हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के बारे में सूचित करे के लिए भी कहा है और विशिष्ट शिकायतों को लेकर राज्य सरकार से मांगी गयी कार्रवाई रिपोर्ट दायर नहीं करने पर नाराजगी जतायी है। आयोग ने कहा है कि मणिपुर में जारी हिंसा के कारण मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित अधिकांश मामलों में राज्य सरकार से उसके द्वारा मांगी गई कार्रवाई रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इसलिए, यह जानना जरूरी हो जाता है कि काफी समय से घटित हो रही घटनाओं और लंबे समय से जारी गड़बड़ियों के सिलसिले में संबंधित अधिकारियों ने क्या कार्रवाई की है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप आगे कोई हिंसा न हो। आयोग ने कहा कि घटनाओं की श्रृंखला में उसके द्वारा दर्ज की गई सभी शिकायतों पर इस चरण में किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचे बिना आयोग संबंधित अधिकारियों द्वारा किए गए प्रयासों को जानना चाहेगा, जिसमें हिंसा के पीड़ितों को अब तक दिए गए मुआवजे की मात्रा क्या है?, कितने व्यक्तियों और परिवार के सदस्यों को मुआवजा योजना के तहत कवर किया गया है?, पीड़ितों और मृतकों के परिजनों के पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?, आज तक पीड़ितों में से कितने व्यक्तियों या परिवारों का पुनर्वास किया गया है?, क्या दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा के कारण मरने वाले मृतक के निकटतम रिश्तेदार को अनुकंपा रोजगार की प्रक्रिया शुरू की गई है या नहीं और ऐसी प्रक्रिया का चरण क्या है?, अब तक कितने व्यक्तियों को अनुकंपा रोजगार के आधार पर नियुक्त किया गया है? जैसी बातें शामिल हैं। आयोग ने कहा है कि मानव जीवन को बचाने और निजी तथा सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा करने, विशेष रूप से महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और समुदाय के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं? आयोग यह भी उम्मीद करता है कि समुदायों को हिंसा का सहारा लेने से रोकने और शांति, सद्भाव तथा एकजुटता बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए, ताकि भाईचारे के बंधन को मजबूत किया जा सके, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 51-ए में निहित महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्यों में से एक है। आयोग ने कहा है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में कोई अवलोकन किए बिना यह निर्देशित किया जाता है कि पीड़ितों या उनके परिवारों को मुआवजे की पेशकश करने के लिए शुरू किए गए पुनर्वास उपायों को निर्बाध रूप से और बिना किसी भेदभाव या मनमानी के जारी रखा जाना चाहिए। यह भी देखा गया है कि प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी और आयोग को दो सप्ताह के भीतर एक व्यापक कार्रवाई रिपोर्ट द्वारा सूचित किया जा सकता है।...////...
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