30-Oct-2024 06:21 PM
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ईटानगर 30 अक्टूबर (संवाददाता) अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में मौसम खराब हाेने के कारण रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पड़ोसी राज्य असम के तेजपुर में हेलीकॉप्टर से उतरना पड़ा।
श्री सिंह अरुणाचल प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को तवांग पहुंचने वाले थे। रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी।
गौरतलब हे कि तवांग सहित अरुणाचल प्रदेश में मंगलवार रात से भारी बारिश हो रही है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री के आज के कार्यक्रम में अरुणाचल प्रदेश की अग्रिम सीमा चौकियों का दौरा करना, तवांग में 190 माउंटेन ब्रिगेड सैनिकों के साथ बातचीत तथा ‘बड़ा खाना’ में शामिल होना शामिल था।
रक्षा मंत्री का कल तवांग में मेजर रालेंगनाओ बॉब खाथिंग वीरता संग्रहालय का उद्घाटन करने तथा भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा जिसका शीर्षक "देश का वल्लभ" का अनावरण करने का कार्यक्रम है।
गुवाहाटी स्थित रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने पहले बताया था कि रक्षा मंत्री अभी तेजपुर में रुकेंगे और अगर मौसम ठीक रहा तो उनका हेलिकॉप्टर तवांग के लिए रवाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर मौसम खराब रहा तो श्री सिंह कल तवांग के कार्यक्रमों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन शामिल होंगे।
अरुणाचल प्रदेश के लिए रवाना होने से पहले रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर लिखा, "अरुणाचल प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर नयी दिल्ली से तवांग के लिए रवाना हो रहा हूं। सशस्त्र बलों के कर्मियों से बातचीत करने और बहादुर भारतीय सेना अधिकारी मेजर रालेंगनाओ बॉब खाथिंग को समर्पित एक संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए उत्सुक हूं।”
रक्षा मंत्री का पर्वतीय भूमि पर स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "दो महान और बहादुर आत्माओं (मेजर रालेंगनाओ बॉब खाथिंग और सरदार वल्लभभाई पटेल) को समर्पित दो स्मारक हमें हमेशा हमारे देश की अखंडता और संप्रभुता में उनके महत्वपूर्ण योगदान की याद दिलाएंगे।"
श्री खांडू ने कहा, “मेजर रालेंग्नाओ बॉब खथिंग का वीरतापूर्ण कृत्यों के बारे में बताया। जिन्होंने फरवरी 1951 में तवांग में भारतीय प्रशासन लाने के लिए एक अभियान का बहादुरी से नेतृत्व किया। मानव इतिहास में उनका ऐसा कोई उदाहरण नहीं है।”
मेजर बॉब खाथिंग ने 14 फरवरी 1951 को सीमावर्ती शहर तवांग को एकीकृत करके तथा मैकमोहन रेखा तक भारतीय प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करके पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। वह एक भारतीय सैनिक, सिविल सेवक और महान राजनयिक थे।
उन्होंने 1951 में असम राइफल्स के सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व तवांग में किया, जो उस समय तिब्बती नियंत्रण में था। उन्होंने तिब्बती अधिकारियों के साथ बातचीत की तथा तवांग को भारत के अधीन लाने के लिए स्थानीय लोगोंं का समर्थन हासिल किया था।...////...