04-May-2024 10:18 PM
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दरभंगा 04 मई (संवाददाता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर जमकर हमला बोला और आरोप लगाया कि श्री यादव ने अपने रेलमंत्री के कार्यकाल के दौरान गोधरा कांड के दोषियों को बचाने के लिए फर्जी रिपोर्ट बनवाई थी।
श्री मोदी ने शनिवार को यहां ऐतिहासिक राज मैदान में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवारों के समर्थन में आयोजित चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राजद का इतिहास सामाजिक न्याय का मुखौटा लगाकर हमेशा तुष्टिकरण करने का रहा है। जब गोधरा में कार सेवाकों को जिंदा जलाया गया था तब रेल मंत्री शहजादे (तेजस्वी यादव) के पिता थे जो सजा काट रहे हैं और जमानत पर घूम रहे हैं। उन्होंने गोधरा कांड के दोषियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक जज (यूसी बनर्जी) के नेतृत्व में जांच कमेटी बनाई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री यादव ने उस कमेटी से ऐसी रिपोर्ट लिखवाई कि 60 कार सेवकों को जलाने वाले निर्दोष छूट जाएं लेकिन अदालत ने उनकी इस रिपोर्ट को कूड़े-कचरे में फेंक दिया और उन सबको सजा सुनाई, फांसी तक की सजा हो गई। पूरी दुनिया को पता था कि कार सेवकों को जिंदा जलाया गया था लेकिन तब फर्जी जांच रिपोर्ट बनवाकर कार सेवकों पर ही दोष मढ़ने की साजिश रची गई थी। उन्होंने कहा, “यही इनका इतिहास है। यही इनकी सच्चाई है। हमें बिहार को लालटेन के युग मे वापस नहीं जाने देना है।”
श्री मोदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा, “दिल्ली वाले शहजादे एक नई बात लेकर आए हैं। हमारे माता-पिता जो कुछ भी बचाते हैं। अपने बच्चों के लिए बचाते हैं। हर मां-बाप के मन में एक इच्छा रहती है कि वह मृत्यु के बाद बच्चों को कुछ ना कुछ देकर जाएं, लेकिन कांग्रेस ऐसा कानून बनना चाहती है कि मां-बाप की अर्जित संपत्ति उनके बच्चों को नहीं मिलेगी। आधा इनकी सरकार छीन लेगी। 55 प्रतिशत विरासत टैक्स इनकी सरकार लेगी।” उन्होंने जनसभा में मौजूद लोगों से पूछा, “क्या आप अपनी कमाई को लूटने देंगे।”
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री रहने के दौरान केद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले के आधार पर 04 सितंबर 2004 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश यूसी बनर्जी की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति को घटना के कुछ पहलुओं की जांच का काम सौंपा गया था। बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया कि एस-6 कोच में लगी आग एक ‘दुर्घटना’ थी और इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी तत्वों द्वारा लगाई गई थी।
वहीं, 13 अक्टूबर 2006 को गुजरात उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि यूसी बनर्जी समिति का गठन ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है क्योंकि नानावटी-शाह आयोग पहले ही दंगे से जुड़े सभी मामले की जांच कर रहा है। उसने यह भी कहा कि बनर्जी समिति की जांच के परिणाम ‘अमान्य’ हैं। विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 31 लोगों को दोषी पाया जबकि 63 अन्य को बरी किया। विशेष अदालत ने 01 मार्च 2011 को गोधरा कांड में 11 को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई।...////...