माउंट आबू में राज्यपाल प्रवास को लेकर राजभवन में तैयारियां जोरों पर
17-May-2022 09:32 PM 1758
माउंट आबू, 17 मई (AGENCY) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के आगामी 22 मई को माउंट आबू ग्रीष्म प्रवास पर आने को लेकर राजभवन में तैयारियां जोरों पर की जा रही हैं। जिला, स्थानीय प्रशासन, जयपुर स्थित राजभवन अधिकारीगण एवं संबंधित अन्य अधिकारी राजभवन की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद बनाने में निरंतर कार्यरत है। सुनसान रहने वाली राजभवन की सडक़ें चमकनी आरंभ हो गई हैं। राजभवन की अंदरूनी एवं बाहरी सफाई हो रही है। संबंधित विभागों के अधिकारी राजभवन की व्यवस्थाओं को मूर्तरूप देने में जुटे हुए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रिटिश शासन काल के दौरान अंग्रेज सिपहसिलारों ने ग्रीष्मावकाश के दौरान अपनी सहूलियत के लिए माउंट आबू में रेजीडेंसी भवन के नाम से निर्माण करवाया। इस भवन 1866 में निर्माण आरंभ हुआ जो 1998 तक 46 हजार 305 रुपये की लागत से पूरा कर दिया गया था। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के साथ एक नवंबर 1956 में माउंट आबू का तत्कालीन बंबई प्रांत से राजस्थान में विलय होने के बाद राज्य के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन प्रवास होने लगा। जिससे यह भवन राजभवन के रूप में पहचाना जाने लगा। राजधानी माउंट आबू से ही संचालित होने लगी। कालांतर में यह एक परंपरा बन गई। तब से राज्य के राज्यपाल यहां हर साल ग्रीष्मावकाश बिताने आते हैं। हालांकि पूर्व राज्यपाल कल्याण सिहं ही ऐसे राज्यपाल थे जो अपने कार्यकाल में मात्र दो ही दिन माउंट आबू प्रवास के दौरान राजभवन में रूके। अधिकाशंतः राज्यपालों ने ग्रीष्मकालीन प्रवास माउंट आबू राजभवन में व्यतीत किया। राजभवन का पूरा परिसर 8.54 एकड़ में फैला हुआ है। जिसमें सात बेडरूम, दो सिटिंग रूम, एक बड़ा डायनिंग हॉल है। डायनिंग हॉल में एक साथ 24 लोग बैठ सकते हैं। इसी प्रकार एक छोटा डायनिंग हॉल है, जिसमें पांच लोग बैठ सकते हैं। भवन में सात बाथरूम हैं। इसी परिसर में स्टाफ क्वार्ट व सुरक्षा व्यवस्था के लिए 150 लोगों के रुकने की भी व्यवस्था है। जिसमें वीरानगी छाई रहती है जहां अक्सर भालू विचरण करते दिखाई देते हैं। जो इन दिनों चहका हुआ है।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^