01-Dec-2021 09:17 PM
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नयी दिल्ली, 01 दिसंबर (AGENCY) सरकार कृषि उपज के आकलन की परंपरागत विधि की जगह अब कृत्रिम मेधा, ड्रोन सर्वे और अन्य प्रकार की अत्याधुनिक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी आधारित आकलन प्रणाली लागू करने की तैयारी में है।
सरकार का कहना है कि इससे गांव-गांव तथा खेत-खेत के स्तर पर फसल के उपज और नुकसान का ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में एक प्रशन के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार फसल कटाई परीक्षण (सीसीई) पर आधारित परंपरागत माॅडल की जगह प्रौद्योगिकी आधारित आकलन प्रणाली लागू करने की तैयारी में है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पायलट परियोजनाएं शरू की गयी हैं जिसमें विभिन्न सरकारी और निजी एजेंसियों को लगाया गया है। श्री तोमर ने बताया कि खरीफ फसल के बाद से 15 राज्यों के 64 जिलों में नौ फसलों की उपज के अनुमान में नयी तकनीकों के प्रयोग के लिए 12 एजेंसियां लगायी गयीं। इनमें उपग्रह से लिए जाने वाले बारीक चित्र, बिना चालक के विमान, उन्नत गुणक फसल मॉडल, खेप की सूचना के लिए मोबाइल ऐप के प्रयोग वायुयान से सूचना एवं मशीन लर्निग जैसी प्रौद्योगिकी के साथ प्रयोग किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 2020 की खरीफ फसल में 100 जिलों में धान की उपज के अनुमान के लिए सात एजेसिंयों की सेवाएं ली गयी हैं। इसी तहर 2020-21 में 13 राज्यों के 100 जिलों में गेहूं की उपज के अनुमान का परीक्षण किया गया।
सरकार ने गेहूं और धान के अतिरिक्त अन्य फसलों की उपज के अनुमान के लिए भी प्रौद्योगिकी आधारित विधियों का परीक्षण शुरू किया है।
श्री तोमर ने कहा,“ फसल की उपज/क्षति का बीमित इकाई के स्तर तक सही-सही अनुमान लगने के लिए सरकार नयी नयी प्रौद्योगिकी की सहायता से ग्राम पंचायत स्तर पर फसल उपज आकलन का प्रोटॉकॉल (विधि) विकसित करने की पहल की है। ”
कृषि मंत्री ने बताया कि इसके लिए देश-विदेश की सरकारी और निजी एजेंसियों को लगाया गया है। ये एजेंसियां फसल उपज आकलन के लिए बहु समाश्रयी समीकरण (मल्टी लिनियर रेग्रेसन), मशीन लर्निग, विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन की वाष्पीकरण आधारित एफएओ-ईटी माडल आदि का उपयोग किया जा रहा है। 2020 की खरीफ फसल के दौरान नागर विमान महानिदेशालय से 37 जिलों में अनुमान के लिए मानव रहित विमान (ड्रोन) उड़ाने की अनुमति मांगी गयी थी।...////...