पूर्व राष्ट्रपति ने किया अस्पताल का शिलान्यास
15-Oct-2023 11:50 PM 8563
सोनीपत, 15 अक्टूबर(संवाददाता) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हरियाणा के सोनीपत जिले के कुंडली में आज एक हार्ट एंड कैंसर अस्पताल का शिलान्यास किया जो ‘नो प्रोफिट-नो लोस‘ आधार पर संचालित होगा। श्री कोबिंद ने इस मौके पर इस पवित्र प्रयास के लिए समर्पण संस्था के संस्थापकों को बधाई दी और साथ ही आहवान किया कि अस्पताल में ऐसी सुविधा हों कि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति पैसों के अभाव उपचार से वंचित न रहे। जरूरतमंदों के लिए निशुल्क उपचार सुविधा और मध्यमवर्गीय परिवारों को उपचार में छूट का लाभ देना चाहिए, जबकि समर्थ लोग पूर्ण उपचार शुल्क वहन कर सकते हैं। उन्होंने इस मौके पर नवरात्रों और एक रूपया एक ईंट का संदेश देने वाले महाराजा अग्रसेन की जयंती की भी बधाई देते हुए कहा कि अस्पताल का शिलान्यास अत्यधिक विशेष दिवस पर किया गया है। अस्पताल की शुरुआत 50 बिस्तरों की सुविधा से की जाएगी, जिसे निकट भविष्य में 500 बिस्तरों की क्षमता में तब्दील किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जन जन तक चिकित्सा सेवाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार निभाती है, जिसमें सामाजिक संस्थाओं, औद्योगिक इकाइयों और समाज को भी सहयोग देना चाहिए। समर्पण संस्था ने इस दिशा में अपने उत्तरदायित्वों की अनुकरणीय पूर्ति की है, जिसके तहत रक्तदान शिविर, कोरोना काल में लोगों को भोजन और ऑक्सीजन सिलेंडरों की मदद, मेडिसिन बैंक आदि का संचालन भी शामिल है। श्री कोविंद ने चिंता जताई कि वर्ष दर वर्ष कैंसर और हृदय रोगियों की संख्या में बढ़ रही है। उचित प्राथमिक उपचार से ऐसे रोगियों की प्राणों की रक्षा की जा सकती है। यह अस्पताल भी निशुल्क एवं रियायती दरों पर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेगा। सेवा परम धर्म है। देश की सेवा और राष्ट्र निर्माण में सहयोग के लिए चिकित्सा सेवाएं बेहतरीन अवसर है, जिससे जीवन रक्षा की जा सकती है। स्वास्थ्य सेवाएं हर किसी के लिए सुलभ होनी चाहिए। जीवनघातक रोगों के पीड़ितों के लिए अस्पताल केवल ईंटों से बनी इमारत नहीं अपितु आशा की किरण के रूप में स्थापित होने चाहिएं। जरूरतमंदों की पीड़ा कम कर उन्हें स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए सशक्त बनाना है। वित्तीय स्थिति कमजोर हो तो उन्हें उपचार का विकल्प मिलना चाहिए। किसी भी मरीज के लिए उपचार में वित्तीय सीमाएं कभी आड़े नहीं आनी चाहिए। उन्होंने नसीहत दी कि लोगों की जेब पर नहीं बल्कि उनकी स्थिति और बीमारी पर ध्यान देना चाहिए। कोई बीमार रोता हुआ आता है तो वह हंसता हुआ जाना चाहिए।...////...
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