18-Jan-2022 11:11 PM
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जयपुर 18 जनवरी (AGENCY) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस का प्रयास हो कि किसी भी अपराध में कम से कम समय में गहनता से तफ्तीश हो और अपराधी को सजा एवं पीड़ित को जल्द से जल्द से न्याय मिले तथा पुलिस अपना काम बिना किसी दबाव के निष्पक्षता और सकारात्मक सोच के साथ करने के निर्देश दिए हैं।
श्री गहलोत आज अपने निवास पर वीसी के माध्यम से गृह विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश में सुदृढ़ कानून-व्यवस्था और अपराधों की प्रभावी रोकथाम राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी इस दिशा में पूरी तत्परता और संवेदनशीलता के साथ काम करें।
प्रदेश में पुलिस की कार्यशैली को आधुनिक, पब्लिक फ्रेंडली व प्रो-एक्टिव बनाने के उद्देश्य से थानों में स्वागत कक्ष, महिला अपराधों की रोकथाम व प्रभावी अनुसंधान के लिए हर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद का सृजन,अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन, जघन्यअपराधों के लिए अलग इकाई का गठन किया है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल डेस्क का संचालन, सुरक्षा सखी, पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक, महिला शक्ति आत्मरक्षा केंद्र जैसे नवाचार किए गए हैं। इनका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। पुलिस अधिकारी इन नवाचारों का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कर कानून-व्यवस्था को और मजबूत करें।
महिला अपराधों के प्रति विशेष कदम उठाने का परिणाम है कि राज्य में पॉक्सो एक्ट एवं महिला अत्याचार के प्रकरणों के निस्तारण में लगने वाला औसत समय काफी कम हो गया है। दुष्कर्म के मामलों में अनुसंधान समय वर्ष 2018 में 211 दिन था जो वर्ष 2021 में घटकर 86 दिन रह गया है। साथ ही जिलों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन यूनिट के कारण महिला अत्याचार के लंबित केसों की संख्या 12.5 प्रतिशत से घटकर 9.3 प्रतिशत रह गई है। निर्देश दिए कि इसे और कम किया जाए, ताकि पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय मिले।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संतोषजनक है कि प्रदेश में अनिवार्य एफआईआर रजिस्ट्रेशन की नीति के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। वर्ष 2018 में दुष्कर्म के 30 प्रतिशत से अधिक मामले कोर्ट के इस्तगासे के माध्यम से दर्ज होते थे, इनकी संख्या घटकर अब 16 प्रतिशत रह जाना यह बताता है कि हमारी नीति सफल रही है।
उन्होंने कहा कि इससे महिलाओं सहित कमजोर वर्गों का थाने तक पहुंचने का हौसला बढ़ा है,जिससे अपराधियों में भी खौफ पैदा हुआ है। पुलिस अधिकारी अपराधों के पंजीकरण की संख्या में वृद्धि की परवाह किए बिना इस नीति की पालना करें, हमारा अंतिम उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना,निर्दोष के हितों की रक्षा करना है।
उन्होंने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का भी मानना है कि दर्ज अपराधों की संख्या में वृद्धि का अभिप्राय यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि अपराध भी बढ़े हैं। अपराध के आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जन केन्द्रित योजनाओं एवं नीतियों के परिणाम स्वरूप हो सकती है।...////...