03-Sep-2022 10:22 PM
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नयी दिल्ली,03 सितंबर (संवाददाता) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो) ने राकेटों के वेग को धीमी करने वाली एक ऐसी प्रौद्योगिकी का शनिवार को सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया जो राकेट के जले हुए खंडों को जमीन पर उतारने में सहायक बन कर देश के लिए अंतरिक्ष मिशनों में एक नया अध्याय खोलने वाली साबित होगी।
इसरो ने एक बयान में कहा कि इंफ्लैटेबल एरोडायनामिक डिसेलेरेटर (आईएडी) प्रौद्योगिकी का परीक्षण तिरुवनंतपुरम के समीप थुंबा में ध्वनिकारक रोहिणी रोकट के जरिए किया गया।
आईडीए यानी किसी वेगवान वस्तु के आकार को उसकी गतिमान अवस्था में ही फुला कर वायुगतिकी के प्रभाव से उसके वेग को कम करने वाली नई तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन- भविष्य के मिशनों के लिए कई अनुप्रयोगों के साथ प्रक्षेपण के परिदृश्य को बदलने वाली सफलता साबित हो सकता है।
इसरो के अनुसार, ‘‘ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) तिरुवनंतपुरम द्वारा डिजाइन और विकसित किए गए एक आईएडी का आज दोपहर 12.20 बजे टर्ल्स, थुम्बा से रोहिणी परिज्ञापी रॉकेट में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।” परीक्षण के दौरान आईएडी को शुरू में मोड़ कर रॉकेट पर पेलोड बे ( प्रक्षेपित की जाने वाली चीजों को रखने की जगह) के अंदर रखा गया।
लगभग 84 किमी की ऊंचाई पर जाने के बाद आईएडी को फुलाया गया था और यह ध्वनि वाले रॉकेट के पेलोड हिस्से के साथ वायुमंडल से होते हुए नीचे उतरा। आईएडी को फुलाने वाली वायवीय प्रणाली का विकास द्रवनोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) द्वारा विकसित की गई है।
इसरो ने कहा है कि यह पहली बार है कि आईएडी को विशेष रूप से राकेट के खर्च किए गए चरण को सुरक्षित वापस प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। संगठन के अनुसार यह मिशन आने सभी उद्देश्यों में सफल रहा। बयान में कहा गया है कि आईएडी प्रौद्योगिकी के इस अनुप्रयोग से भविष्य में रॉकेट के खर्च हुए चरणों को सुरक्षित उतारने , मंगल या शुक्र पर पेलोड को उतारने और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए अंतरिक्ष आवास बनाने में बड़ी मदद सकेगी।
इस परीक्षण को इसरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने देखा। इनमें डॉ एस उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक, वीएसएससी और डॉ वी नारायणन, निदेशक, वीएसएससी भी शामिल थे।...////...