संविधान की नैतिकता के अनुरूप हिजाब की अनुमति मिलनी चाहिएः कर्नाटक सरकार
18-Feb-2022 11:13 PM 8520
बेंगलुरु, 18 फरवरी (AGENCY) कर्नाटक सरकार ने हिजाब विवाद मामले में शुक्रवार को उच्च न्यायालय में अपनी दलीले रखते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति देने के पहले इसे संवैधानिक नैतिकता और व्यक्तिगत गरिमा की कसौटी पर परखा जाना चाहिए। सरकार ने तीन न्यायाधीशों के पीठ के समक्ष सबरीमाला तथा सायरा बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि हिजाब आवश्यक प्रथा नहीं है। अदालत के समक्ष उपस्थित सरकार की ओर से अटर्नी जनरल प्रभुलिंग नावादगी ने दलील दी कि कर्नाटक सरकार ने पांच फरवरी को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के प्रावधानों अरूप शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को पहनने पर पाबंदी लगाई थी। उन्होंने ये बातें मुस्लिम छात्राओं की ओर से शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति दिए जाने संबंधी दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने 2013 में वर्दी को लेकर एक आदेश जारी किया था। इस दौरान उन्होंने 2018 में कॉलेज विकास समिति की ओर से प्रस्तावा का उल्लेख करते हुए कहा उस समय लड़कियों को कॉलेज की वर्दी को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 तक इसपर किसी को आपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा कि जब छात्रों का एक समूह ने हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश करने की जिद्द की तो प्रधानाचार्य ने उसी समय उन्हें एक जनवरी 2022 में कॉलेज विकास समीति की ओर से पारित प्रस्ताव का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि 1985 से आज तक सभी छात्र कॉलेज द्वारा निर्धारित वर्दी के नियम का पालन कर रहे हैं और किसी ने भी इसपर आवाज नहीं उठाई। श्री नावादगी ने कॉलेद केवल छात्राओं का है और अनुशासन का पालन करन के लिए वर्दी का प्रस्ताव है। उन्होंने छात्राओं के माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को केवल वर्दी में ही कॉलेज भेजें। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद मुस्लिम छात्र इसके साथ थे और उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी।...////...
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