संविधान सामाजिक, आर्थिक परिवर्तन का एक साधन: गवई
12-Jul-2025 11:35 PM 3906
हैदराबाद, 12 जुलाई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने संविधान को सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का एक माध्यम करार दिया है। उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय में शनिवार को भारतीय संविधान पर एक प्रभावशाली और विचारोत्तेजक व्याख्यान देते हुए भारतीय संविधान की शक्तियों और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की भी इस दौरान जिक्र किया। उन्होंने कहा, “ संविधान मेरे दिल के बहुत करीब है।” उन्होंने 1946 में उद्देश्य प्रस्ताव से लेकर 1949 में इसके अंगीकृत होने तक के इसके सफ़र का ज़िक्र करते हुए कहा कि आधुनिक भारत के इस आधारभूत दस्तावेज़ को आकार देने में डॉ अम्बेडकर की बौद्धिक क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। न्यायमूर्ति गवई ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सुधारों के बिना अधिकार निरर्थक हैं। उन्होंने अनुच्छेद 32 का उल्लेख किया जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है। इसे ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ बताते हुए उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं को बनाये रखने के लिए न्यायिक सुुधार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत का संविधान वैश्विक मॉडलों से प्रभावित था, फिर भी इसे भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट रूप से तैयार किया गया था, जिससे अमेरिका जैसे देशों में देखी जाने वाली दोहरी व्यवस्थाओं के विपरीत एक एकल और एकीकृत कानूनी ढांचा तैयार हुआ। इस अवसर पर तेलंगाना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल ने डॉ. अम्बेडकर के इस दृष्टिकोण की याद दिलाई, “ संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर इसे लागू करने वाले अच्छे नहीं हैं तो यह विफल हो सकता है। इसी तरह, एक बुरा संविधान भी अच्छे लोगों के साथ अच्छी तरह से काम कर सकता है। ” उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय संविधान, जिसकी कभी अत्यधिक लंबी और कठोर होने के लिए आलोचना की जाती थी, 75 वर्षों में उल्लेखनीय रूप से लचीला साबित हुआ है।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - mpenews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^