15-Feb-2022 08:51 PM
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नयी दिल्ली 15 फरवरी (AGENCY) पूंजी बाजार नियामक प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी (सीईओ) के पदों को अलग करने की आवश्यकता को अनिवार्य के बजाय 'स्वैच्छिक' बना दिया है।
सेबी ने मंगलवार को बोर्ड की बैठक के बाद जारी बयान में कहा, “इस कॉरपोरेट गवर्नेंस सुधार के संबंध में अब तक किए गए अनुपालन के असंतोषजनक स्तर को ध्यान में रखते हुए प्राप्त विभिन्न अभ्यावेदन, कोरोना महामारी से उत्पन्न बाधाएं और कंपनियों को एक आसान योजना बनाने में सक्षम बनाने के लिए सेबी बोर्ड ने निर्णय लिया है कि इस प्रावधान को अनिवार्य आवश्यकता के रूप में नहीं रखा जा सकता है और इसके बजाय ‘स्वैच्छिक’ आधार पर सूचीबद्ध संस्थाओं पर लागू किया जा सकता है”
बाजार नियामक ने स्थिति की समीक्षा में पाया कि सितंबर 2019 तक शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में अनुपालन का स्तर 50.4 प्रतिशत था, जो 31 दिसंबर 2021 तक बढ़कर केवल 54 प्रतिशत हो पाया। इस प्रकार पिछले दो वर्षों में शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनुपालन में मुश्किल से चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है इसलिए शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में से शेष 46 प्रतिशत से निर्धारित समयसीमा तक इन मानदंडों का पालन करने की उम्मीद है। नियामक ने नियम का पालन करने के लिए अप्रैल 2022 को कट-ऑफ तिथि के रूप में निर्धारित किया था।
सेबी की ओर से उदय कोटक की अध्यक्षता में गठित एक पैनल ने कॉर्पोरेट प्रशासन में और सुधार के उद्देश्य से सूचीबद्ध कंपनियों के अध्यक्ष, एमडी एवं सीईओ के पदों को अलग करने की सिफारिश की थी। पैनल की अनुशंसओं के पीछे मुख्य तर्क यह था कि अध्यक्ष, एमडी एवं सीईओ की शक्तियों का पृथक्करण कंपनी प्रबंधन को अधिक प्रभावी करके एक बेहतर और अधिक संतुलित शासन संरचना प्रदान कर सकता है।...////...