25-May-2022 06:57 PM
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कोलंबो, 25 मई (AGENCY) श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के गवर्नर डॉ. नंदलाल वीरसिंघे ने लोक वित्त समिति (सीओपीई) को बताया कि राजकोष विभाग ने संसद के समक्ष गलत अनुमान पेश कर उसे गुमराह किया है।
उन्होंने सीओपीई को बताया कि संसद के समक्ष अव्यवहारिक उच्च राजस्व अनुमान भेजे गये। इस आधार पर संसद ने ऐसे खर्चों को मंजूरी दे दी जिनको रोका या खत्म नहीं किया जा सकता था। मैं राजकोष के इन अधिकारियों पर विश्वास नहीं करता कि उन्हें नहीं पता था कि वह जो आंकडे संसद के सामने रख रहे हैं वह व्यवहारिक नहीं हैंं। यह जानते हुए कि अनुमान अव्यवहारिक हैं उन्होंने जानबूझकर गलत अनुमान पेश कर संसद को गुमराह किया।
उन्होंने बताया कि इस अनुमानित सरकारी राजस्व के आधार पर मंत्रियों सहित अन्य मदों में खर्च के लिए एक बड़ी राशि दी गई। जिसके परिणामस्वरूप बजट में बड़ा अन्तर पड़ गया और हम कर्ज के जाल में फंस गये।
डॉ़ वीरसिंघे ने बताया कि राजस्व साफतौर से खर्च के हिसाब से नहीं आ रहा तो आपको फिर आपको वित्त के अलग अलग काम करने होंगे, चाहे नोट छापे या कुछ और तरीका अपनाये। जब आपके पास अनुमान के अनुसार पैसा नहीं आ रहा तो आपको खर्च पूरा करने के लिए कर्ज लेना होगा और आप कर्ज के जाल में फस जायेंगे।
सेंट्रल बैंक के प्रमुख ने ससंदीय समिति को बताया कि देश को केवल जरुरी चीजों के आयात के लिए ही हर महीने 600-650 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड, गैस कंपनी और सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के पास डॉलर खरीदने के लिए पर्याप्त राशि नही है। पहले पेश किए गए ईंधन के मूल्य निर्धारण फार्मूले को भारी विरोध के कारण लागू नहीं किया जा सका, जबकि इस फार्मूले को तत्काल प्रभाव से पेश किया जाना था।
वर्तमान आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए गर्वनर ने कहा कि विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए आवंटित 600 मिलियन डॉलर का उपयोग ईंधन और गैस सहित जरुरी वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए किया जाएगा।
सीओपीई अध्यक्ष अनुरा प्रियदर्शन यापा ने अनुशंसा की कि वर्तमान आर्थिक संकट से उबरने और देश में एक स्थिर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नीतिगत निर्णयों पर समिति को एक पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कहा कि इसे मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा।
श्रीलंका इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके कारण भोजन, ईंधन और दवाओं सहित सभी आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है और व्यापक सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।...////...