स्मारकों तथा धरोहरों के रख रखाव के लिए फिक्की जैसे संगठनों से की जा सकती है बात: सरकार
03-Dec-2021 08:58 PM 2915
नयी दिल्ली 03 दिसम्बर (AGENCY) सरकार ने आज कहा कि ऐतिहासिक स्मारकों और धरोहरों के संरक्षण तथा रख रखाव के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से भारतीय उद्योग और वाणिज्य महासंघ (फिक्की) जैसे संस्थानों से बातचीत की जा सकती है लेकिन इसके लिए कंपनी संशोधन विधेयक 2013 में संशोधन की जरूरत नहीं है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य विनय सहस्रबुद्धे के गैर सरकारी विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। ‘कंपनी संशोधन विधेयक 2019’ में कंपनियों के ‘कंपनी सामाजिक उत्तरदायित्व’ (सीएसआर) का कुछ हिस्सा ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण पर व्यय के प्रावधान के लिए ‘ कंपनी अधिनियम 2013’ में संशोधन का प्रस्ताव है। श्री सिंह ने कहा कि सरकार मौलिक तौर पर इस बात का समर्थन करती है कि स्मारकों और धरोहरों के संरक्षण के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से फिक्की जैसे संस्थानों से चर्चा की जा सकती है लेकिन इसके लिए कंपनी अधिनियम में संशोधन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह इस विधेयक के दायरे में नहीं आता। उन्होंने कहा कि वह श्री सहस्रबुद्धे से अनुरोध करते हैं कि वह अपने निजी विधेयक को वापस ले लें। श्री सिंह के अनुरोध के बाद सदन की कार्यवाही का निर्धारित समय पूरा होने पर पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। उन्होंने कहा कि विधेयक पर चर्चा अभी अधूरी है जो आगे जारी रहेगी। इससे पहले श्री सहस्रबुद्धे ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि देश को उपनिवेशवाद की छाया से निकाला जाना चाहिए। इसके लिए लोगों को ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के स्थलों, भवनों और वस्तुओं के संरक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार और कुछ निजी संस्थान अपने स्तर पर ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि कंपनियों के सीएसआर की दो प्रतिशत राशि में से 25 प्रतिशत राशि ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों के संरक्षण और विकास पर व्यय की जानी चाहिए। इससे भारतीय विरासत का संरक्षण करने में मदद मिलेगी। उन्होंने इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों के संरक्षण की देश में समृद्ध परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि देश में ऐतिहासिक स्थलों की सूची फिर से तय की जानी चाहिए। मौजूदा सूची में सभी महत्वपूर्ण स्थल शामिल नहीं है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण का वह स्वागत करते हैं लेकिन इसके लिए अलग से कानून की जरुरत नहीं है। इसके लिए दिशा निर्देश जारी किये जा सकते हैं। बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने विधेयक समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश की समृद्ध विरासत का संरक्षण करनेे में मदद मिलेगी। वाईएसआरसीपी के विजय साईं रेड्डी ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे उपेक्षित स्थलों और निजी संग्रहालयों को मदद मिलेगी।...////...
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