14-Jun-2025 11:09 PM
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नयी दिल्ली, 14 जून (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय में मशहूर कलाकार कमल हासन की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'ठग लाइफ' को सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर जनहित याचिका में हस्तक्षेप की गुहार लगाते हुए कन्नड़ साहित्य परिषद ने शीर्ष अदालत के समक्ष आवेदन किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद संजय एम नूली की ओर से किये गये हस्तक्षेप आवेदन में परिषद ने आरोप लगाया गया है कि फिल्म पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता एम महेश रेड्डी का इस विषय से कोई लेना-देना नहीं है और उनकी वर्तमान रिट याचिका एक ‘प्रचार हित याचिका’ है।
आवेदन में यह भी आरोप लगाया गया है कि याचिका पूरी तरह से गलत है।
शीर्ष अदालत ने रेड्डी की जनहित याचिका पर शुक्रवार को कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर उन्हें अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
कन्नड़ साहित्य परिषद के हस्तक्षेप आवेदन में दलील दी गयी है कि फिल्म निर्माताओं ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका में अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा किया है। वास्तव में, याचिकाकर्ता (एम महेश रेड्डी) का इस विषय से कोई लेना-देना नहीं है और वर्तमान रिट याचिका एक ‘प्रचार हित याचिका’ है।
आवेदन में यह भी कहा गया है कि फिल्म के सह-निर्माता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत निर्देशों पर कहा कि वे स्वयं कर्नाटक में फिल्म को तब तक प्रदर्शित करने के लिए तैयार नहीं होंगे, जब तक कि यह मुद्दा संवादों के माध्यम से हल नहीं हो जाता। इसलिए, याचिकाकर्ता का यह दावा कि अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन किया गया, पूरी तरह से गलत है।
आवेदक ने शीर्ष अदालत के समक्ष दिये गये आवेदन में कहा कि संबंधित अभिनेता के बयानों ने पूरे कर्नाटक, विशेष रूप
से कन्नड़ भाषाई समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। यह समुदाय इस तरह की टिप्पणियों को राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान पर हमला मानते हैं।
आवेदक की ओर से यह भी कहा गया है, “ कन्नड़ लोगों द्वारा व्यक्त की गई पीड़ा मनमाना या अचानक नहीं है, बल्कि अभिनेता द्वारा भड़काऊ आचरण और बयानों की प्रतिक्रिया है। उन लोगों का मानना है कि अभिनेता की ओर से जानबूझकर या लापरवाही से दिया गया भाषण है जो कन्नड़ भाषा की गरिमा को कम करता है। ”
आवेदनकर्ता का कहना है, “ निराशा, विरोध या फिल्म का बहिष्कार करने के लिए सार्वजनिक रूप से की गयी अभिव्यक्तियां लोकतांत्रिक हैं और संवैधानिक रूप से उसी संविधान द्वारा संरक्षित हैं, जिसका याचिकाकर्ता (रेड्डी) खुद को बचाने के लिए हवाला दे रहा है। ”
आवेदन में यह भी कहा गया है कि संबंधित अभिनेता न तो प्रशिक्षित भाषाविद् है और न ही इतिहासकार और ऐसे संवेदनशील सांस्कृतिक मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां बिना तथ्यात्मक सबूतों या अकादमिक समर्थन के की गयीं थी।
कन्नड़ साहित्य परिषद ने आवेदन में कहा कि वह कन्नड़ भाषा की अखंडता, इतिहास और सम्मान को बनाये रखने में एक प्राथमिक हितधारक है। इस नाते वह कन्नड़ की स्वतंत्र भाषाई पहचान और सांस्कृतिक स्थिति से संबंधित प्रासंगिक ऐतिहासिक, भाषाई और संवैधानिक पहलुओं को प्रस्तुत करने के लिए मामले में हस्तक्षेप करना चाहता है।
शीर्ष अदालत ने 13 जून को इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जून की तारीख मुकर्रर की थी।
अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने 13 जून को याचिकाकर्ता रेड्डी की दलीलें सुनने के बाद अपने आदेश में कहा, “ यह तर्क दिया गया है कि विधिवत सीबीएफसी-प्रमाणित तमिल फीचर फिल्म ‘ठग लाइफ’ को कर्नाटक राज्य के सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है। ”
हिंसा की धमकी के बाद तथाकथित प्रतिबंध किसी कानूनी प्रक्रिया से नहीं, बल्कि सिनेमाघरों के खिलाफ आगजनी की स्पष्ट धमकी, भाषाई अल्पसंख्यकों को लक्षित कर बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काने सहित आतंक के एक जानबूझकर अभियान के पीछे दिखाई गयी तात्कालिकता और इस अदालत के समक्ष लाये गये मुद्दे के दृष्टिगत हम प्रतिवादी को नोटिस जारी करते हैं।...////...