उप्र की चार जातियों को जनजाति में शामिल करने वाला विधेयक लोकसभा में पारित
01-Apr-2022 08:22 PM 5719
नयी दिल्ली, 01 अप्रैल (AGENCY) लोकसभा में उत्तर प्रदेश के चार जिलों में चार समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने वाला संशोधन विधेयक शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने ‘संविधान (अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों) आदेश (दूसरा संशोधन) विधेयक 2022’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि चर्चा में 24 वरिष्ठ सदस्यों ने हिस्सा लिया और सबने महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उनके सुझावों को विधेयक में शामिल करने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने अपने राज्यों के संबंध में विचार व्यक्त किये हैं और समस्याएं रखी हैं। उन्होंने सदन को विश्वास दिलाया कि कि मोदी सरकार देश के हर क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों की समस्या के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना था कि आदवासी समुदाय के लोग प्रकृतिप्रेमी होते हैं और उन्हें पेड़, पौधों और जंगल से प्रेम रहता हैं इसलिए हर स्थिति में उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाता है। केंद्रयी मंत्री ने कहा कि अनुसूचित जनजाति समुदाय में शामिल किस समुदाय को करना है इसको लेकर प्रस्ताव राज्य सरकारों की तरफ से आते हैं और उसी के आधार पर निर्णय लिया जाता है। किस जाति को सूची में शामिल किया जाना है यह फैसला सरकार अकेले नहीं करती। इसको लेकर उच्चतम न्यायालय का आदेश है कि जिन समुदायों को अनुसूचित जाति में शामिल करना है इस बारे में सारे फैसले करने का अधिकार सरकार की बजाय संसद के माध्यम से पारित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया कि चुनाव के मद्देनजर सरकार यह विधेयक लेकर आई है लेकिन देश में बराबर चुनाव होते रहते हैं और इन चुनाओं का विधेयक से कोई मतलब नहीं होता है। सदन ने हाल ही में कर्नाटक का , अरुणाचल और त्रिपुरा से संबंधित विधेयक पारित किया और अब जल्द ही झारखंड, छत्तीसगढ और ओडिशा से जुड़े विधेयक भी पारित किये जाएंगे। श्री मुंडा ने कहा कि जनजाति समुदाय का विकास होना चाहिए इस संकल्प को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है। उनका कहना था कि 2013-14 से पहले का आंकडा देखें तो तब 119 आवासीय विद्यालय आदिवासी छात्रों के लिए चल रहे है और अब इनकी संख्या 367 हो गई है। उस समय प्रति छात्र खर्च 42 हजार रुपए था जो अब प्रति छात्र एक लाख 9 हजार रुपए हो गया है। एकलव्य स्कूलों के लिए कांग्रेस के समय 12 करोड़ रुपए मिलते थे जो आज 38 करोड़ रुपए हैं।...////...
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