24-Jul-2024 03:19 PM
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पटना 23 जुलाई (संवाददाता) विधानसभा में मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और राज्य में 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर विपक्ष के भारी हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जनहित के मद्देनजर उनकी ओर से दिए गए कार्यस्थगन प्रस्तावों को स्वीकार करने पर जोर दिया। हालांकि सभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने उन्हें उचित समय पर मुद्दे को उठाने का सुझाव दिया, जिस पर विपक्षी सदस्य पोस्टर और बैनर लेकर सदन के बीच में आ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रश्नकाल के दौरान हस्तक्षेप करते हुए हंगामा कर रहे सदस्यों से अपनी सीटों पर बैठने और ध्यान से उनकी बात सुनने को कहा। लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांगों के समर्थन में हंगामा करते रहे। श्री कुमार ने कहा कि उन्होंने ही सभी दलों के नेताओं की सहमति और समर्थन से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया था। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर एससी, ईबीसी और ओबीसी के लिए आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी गई। उन्होंने केंद्र से राज्य के 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की सिफारिश पहले ही कर दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वेक्षण में 94 लाख गरीब परिवारों की जानकारी मिली है। उनकी सरकार ने प्रत्येक गरीब परिवार को सालाना दो लाख रुपये देना शुरू कर दिया है। उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर कहा कि इसके लिए उन्होंने वर्ष 2010 में आंदोलन शुरू किया था लेकिन तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना। उस समय उस सरकार में राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल था। उन्होंने कहा कि उनके अनुरोध पर विचार करते हुए केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने विभिन्न स्तरों पर सहायता प्रदान की है और आगे भी करने को तैयार है। इसलिए, विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर मचाया जा रहा हंगामा अतार्किक और निरर्थक है क्योंकि राज्य की मांगों के संबंध में सब कुछ किया गया है।
श्री कुमार ने विपक्ष खासकर कांग्रेस सदस्यों की ओर इशारा करते हुए सवाल किया कि तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के शासनकाल में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं दिया गया। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बावजूद विपक्ष के सदस्य श्री कुमार के खिलाफ लगातार नारेबाजी करते रहे। सभाध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से बार-बार अपनी सीटों पर बैठने और कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया, लेकिन वे नहीं माने। सभाध्यक्ष ने सदन को अव्यवस्थित देख पूर्वाह्न 11:28 बजे सभा की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले विपक्ष के हंगामे के दौरान हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पहले ही केंद्र से 65 प्रतिशत आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण के प्रतिशत में वृद्धि पर रोक लगाने वाले पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुकी है।
विपक्षी सदस्यों ने जब केंद्रीय बजट पर बोलना शुरू किया तो सभाध्यक्ष ने उनसे ऐसा न करने को कहा क्योंकि मुख्यमंत्री पहले ही इसकी सराहना कर चुके हैं। सभाध्यक्ष ने सदस्यों से बार-बार अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य सदन में जन सरोकार के मुद्दों को उठाने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि विपक्ष मीडिया में अपना लाभ लेना चाहता है और उसे आम जनता के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है। उनका हंगामा निरर्थक है।...////...