12-Jun-2025 10:51 PM
7255
नयी दिल्ली, 12 जून (संवाददाता) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की मतदाता सूचियां बनाने में गड़बड़ी के कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने गुरुवार को कहा कि सूचियों में मतदाताओं के नाम को जोड़ने-घटाने का काम आबादी में वृद्धि के किसी अनुमान के आधार पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत फार्म के आधार पर किया जाता है।
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि श्री गांधी ने हाल में अखबारों में लेख के माध्यम से सूचियों में गड़बडी के जो आरोप लगाए उनका तथ्यवार जवाब पहले दिया जा चुका था, लेकिन उन्होंने उन्हीं आरापों को दोहराया है।
बयान में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और मतदाता पंजीकरण नियमावली 1960 के अंतर्गत मतदाता सूचियों में काट-छांट की कोई केंद्रीय व्यवस्था नहीं हो सकती है। कार्यालय ने कहा है कि महाराष्ट्र में मतदाता सूचियों का निर्माण राज्यभर के 288 मतदाता पंजीकरण अधिकारियों ने एक लाख से अधिक मतदान केंद्र स्तरीय अधिकारियों -बीएलओ के द्वारा जमीनी स्तर पर कराए गये सर्वे के आधार पर तैयार की जाती है। तैयार सूचियों का मसौदा हर पार्टी को उपलब्ध कराया जाता है ताकि उसके आधार पर दावे और आपत्तियां की जा सके।
श्री गांधी के आरोप को भ्रामक बताते हुए राज्य निर्वाचन कार्यालय ने कहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा के 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच 32.25 लाख मतदाता शुद्धरूप से बढ़े थे। इस दौरान 1.39 करोड़ नाम जुड़े और 1.07 करोड़ नाम कटे थे। इसी तरह 2024 के लोकसभा चुनाव और उसी साल कराए गये विधानसभा चुनाव के बीच 84.82 लाख नाम जुड़े और आठ लाख नाम कटे थे। इस तरह इस दौरान सूची में 40.81 लाख नामों का इजाफा हुआ था। इनमें से 26 लाख मतदाता 18 से 29 आयु वर्ग के थे। इस तरह 2019 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा के चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या में 1.39 करोड़ की वृद्धि हुई थी जबकि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच 48.82 लाख नाम जुड़े थे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम आने से पहले कांग्रेस पार्टी या उसके प्रत्याशियों ने सूचियों को लेकर कोई गंभीर आरोप नहीं लगाया था।
गौरतलब है कि श्री गांधी ने अखबारों में लेख लिखकर आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मतदाता सूचियों में गडबड़ी हुई थी और अचानक बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम जोड़े गये। इन मतदाताओं के कारण कई सीटों के चुनाव परिणाम प्रभावित हुए हैं और उन्हें आशंका है कि आने वाले समय में विभिन्न राज्यों होने वाले विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।...////...