शराबबंदी से किसी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे : नीतीश
26-Feb-2022 11:54 PM 2737
बेगूसराय 26 फरवरी (AGENCY) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा की शराबबंदी लागू करने के साथ ही उन्होंने मन बना लिया था कि वह इससे किसी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। श्री कुमार ने शनिवार को यहां औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान पनहास में आयोजित समाज सुधार अभियान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "प्रारंभ से ही हमलोग शराबबंदी के पक्ष में हैं और वर्ष 2011 से ही हमने अभियान चलाना शुरू कर दिया था। शराब बिक्री से राज्य सरकार को पांच हजार करोड़ रुपये की आमदनी हो रही थी। हमने इसकी परवाह नहीं करते हुए जनहित में शराबबंदी को लागू किया। 09 जुलाई 2015 को पटना में जीविका के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आवाज उठाना शुरु किया उसके बाद मैं वापस माइक पर आया और कहा कि अगर आपलोगों ने फिर से सेवा का मौका दिया तो बिहार में शराबबंदी लागू करेंगे। उसके तीन माह बाद ही बिहार में विधानसभा का चुनाव था। बिहार की जनता ने पुनः हमलोगों को काम करने का मौका दिया और हमने शपथ लेने के बाद 26 नवंबर को ही बैठक बुलाकर शराबबंदी को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया।" श्री कुमार ने कहा कि जननायक कर्पुरी ठाकुर वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शराबबंदी लागू की थी। दी वर्ष बाद उसे हटा दिया गया। लेकिन हमने जब शराबबंदी लागू की तो यह मन बना लिया कि किसी भी कीमत पर हम शराबबंदी से समझौता नहीं करेंगे। इसके लिये विधानमंडल से विधेयक पास कराया गया और सभी सदस्यों ने शराबबंदी के पक्ष में शपथ लिया था। उन्होंने कहा कि आदमी शत प्रतिशत ठीक नहीं होता है। कुछ लोग गड़बड़ मानसिकता के होते हैं। दारू पीने के पक्षधर कुछ लोग उनके खिलाफ बोलते रहते हैं। जो खुद को ज्यादा काबिल, पढ़ा लिखा और विद्वान समझते हैं लेकिन ऐसे लोग काबिल नहीं हो सकते हैं। बिहार के विकास के लिए काफी काम किया गया है लेकिन फिर भी कुछ लोग इसकी चर्चा नहीं कर फिजूल की बातें करते रहते हैं। शराबबंदी के बाद कुछ लोग तरह-तरह के सवाल खड़े करने लगे। वर्ष 2018 में उन्होंने आकलन कराया तो शराबबंदी के बाद एक करोड़ 64 लाख से ज्यादा लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया। पुनः इसका आकलन कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के बाद बिहार की स्थिति में काफी सुधार आया है। बिहार की पहले क्या हालत थी। शाम के बाद घर से निकलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। सड़कें काफी जर्जर थीं। चाहकर भी कोई कहीं जा नहीं पाता था। सड़क, स्कूल, अस्पताल सहित सभी क्षेत्रों में विकास का काम तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले बिहार में शिक्षा की काफी बुरी स्थिति थी। पांचवी क्लास से आगे लड़कियां नहीं पढ़ पाती थीं। उनकी सरकार ने वर्ष 2007 से पोशाक योजना की शुरुआत की। इसके बाद 9वीं कक्षा में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की भी शुरुआत की। उस समय इस तरह की योजना पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी कहीं नहीं थी। घर के काम से अब साइकिल लेकर लड़कियां अपने माता पिता को साथ लेकर बाजार जाने लगीं। पिछले साल की मैट्रिक की परीक्षा में लड़कियों की संख्या लड़कों से 300 अधिक थी। कुछ लोगों को मौका मिला तो उन्होंने अपने घर की महिलाओं को बड़ा बड़ा पद दिया लेकिन प्रदेश की महिलाओं के उत्थान लिये उन्होंने कुछ नहीं किया।...////...
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